( १८७ ) इस क्रिया में कृदंत के लिंग-वचन विशेष्य के अनुसार बदलते हैं; जैसे, यह बात सनातन से होती आती है। पानी बरसता. रहेगा। लड़का चिट्ठी लिखता जाता था। (३) भूतकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई ३३८-अकर्मक क्रियाओं के भूतकालिक कृदंत के आगे __ "जाना" क्रिया जोड़ने से तत्परताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है। यह क्रिया केवल वर्तमानकालिक कृदंत से बने हुए कालों में आती है; जैसे, लड़का पाया जाता है। मारे बू के सिर फटा जाता था। वह मारे चिंता के मरी- जाती थी। ३३६-भूतकालिक कृदंत के आगे "करना" क्रिया जोड़ने से अभ्यासबोधक क्रिया बनती है; जैसे, "तुम हमें देखो न देखो, हम तुम्हें देखा करें", "वारह बरस दिल्ली रहे पर भाड़ ही झोंका किये"। ___३४०-भूतकालिक कृदंत के आगे "चाहना” किया जोड़ने से इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया बनती है; जैसे, "तुम किया चाहोगे तो सफाई होनी कौन कठिन है।" "देखा चहौं जानकी माता ।" (अ) अभ्यासबोधक और इच्छाबोधक क्रियाओं में "जाना" का भूतकालिक कृदंत "जाया" होता है; जैसे, वह जाया करता है। में जाया चाहता हूँ।
पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१९२
दिखावट