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सय विधेय-पूरक साधारण धक | उद्देश्यवर्धक साधारण विधेय विधेय-विस्तारक वाक्य उद्देश्य कर्म । पूर्ति .. पागल । इसमें (स्थान) | एक सेर ० बस ccccce वह हो गया बेचारा कर सकता था होगा . सूख गया दो हो गये दो फुट ऊँची । है ० खेत का खेत ( २२२ ) ० दीवार ० - मुझे यहाँ आये (काल) राजमंदिर से......पर चारों तरफ़ (स्थान) दुगंध के मारे (कारण) वहाँ ( स्थान) बैठना (लुप्त) बैठा नहीं जाता था ० (क्रियांतर्गत अथवा किसी से (लुप्त) अपमान | यह सहा जायगा चले पाते थे नेपालवाले | किससे (द्वारा) अपना राज्य बढ़ाते(रीति) बहुत दिनों से (काल)