(२३० ) (२) विभाजक-मेरा भाई यहाँ प्रावेगा या में ही उसके पास जाऊँगा । उन्हें न नींद आती थी, न भूख प्यास लगती थी। . (३) विरोधदर्शक-ये लोग नये बसनेवालों से सदैव लड़ा करते थे; परंतु धीरे धीरे जंगल-पहाड़ों में भगा दिये गये । कामनाओं के प्रबल हो जाने से श्रादमी दुराचार नहीं करते; किंतु अंतःकरण के निर्वल हो जाने से वे वैसा करते हैं । परिणामबोधक -शाहजहाँ इस बेगम को बहुत चाहता था; इस- लिए उसे इस रोजे के बमाने की बड़ी रुचि हुई। मुझे उन लोगों का भेद लेना था; सो मैं वहाँ ठहरकर उनकी बातें सुनने लगा। ४३६-~अब संयुक्त वाक्य के पृथक्करण का एक उदाहरण दिया जाता है। इसमें संयुक्त वाक्य के प्रधान उपवाक्यों का परस्पर संबंध बताना पड़ता है। शेष बातें साधारण अथवा मिश्र वाक्यों के समान कही जाती हैं। जैसे- (१) दो-एक दिन आते हुए दासी ने उसको देखा था; किंतु वह संध्या के पीछे आता था, इससे वह उसे पहचान न सकी; और उसने यही जाना कि नौकर ही चुपचाप निकल जाता है। (संयुक्त वाक्य ) . (क) दो-एक दिन प्राते हुए दासी ने उसको देखा था । ( मुख्य सपवाक्य, ख, ग, घ का समानाधिकरण ) . (ख) किंतु वह संध्या के पीछे आता था। (मुख्य उपवाक्या, ग, घ का समानाधिकरण; क का विरोधदर्शक )
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