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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२३७

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मनोरंजन-पुस्तकमाला

अपने ढंग की यह एक ही पुस्तकमाला प्रकाशित हुई है। जिसमें नाटक, उपन्यास, काव्य, विज्ञान, इतिहास, जीवनचरित 'आदि सभी विषयों की पुस्तकें हैं। यों तो हिंदी में नित्य ही अनेक ग्रंथ-मालाएँ और पुस्तक-मालाएँ निकल रही हैं, पर मनोरंजन-पुस्तकमाला का ढंग सबसे न्यारा है । एक ही आकार प्रकार की और एक ही मूल्य में इस पुस्तकमाला की सब पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। इसकी अनेक पुस्तकें कोर्स और प्राइज बुक में रखी गई हैं, और नित्य-प्रति इनकी मांग बढ़ती जा रही है । कई पुस्तकों के दो दो, तीन तीन संस्करण हो गये हैं। इसकी सभी पुस्तकें योग्य विद्वानों द्वारा लिखवाई जाती हैं। पुस्तकों की पृष्ठ-संध्या २५०-३०० और कभी कभी इससे भी अधिक होती है। ऊपर से बढ़िया जिल्द भी बंधी होती है। आवश्यकतानुसार चित्र भी दिये जाते हैं। इन पुस्तकों में से प्रत्येक का मूल्य १।) है, पर स्थायी ग्राहकों से कम लिया जाता है। पुस्तकों की उपयोगिता और पृष्ठ-संख्या आदि देखते हुए मूल्य बहुत कम है। आशा है, हिंदी-प्रेमी इस पुस्तकमाला को अवश्य अपनावेंगे और स्थायी ग्राहकों में नाम लिखावेंगे। अब तक इसमें भिन्न भिन्न विषयों पर ५० -्पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।

मिलने का पता---

मैनेजर इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग।