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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२९

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दूसरा अध्याय शब्दों का वर्गीकरण ६७--किसी वस्तु के विषय में मनुष्य की भावनाएँ जितने प्रकार की होती हैं उन्हें सूचित करने के लिए शब्दों के उतने हो भेद होते हैं। मान ले कि हम पानी के विषय में विचार करते हैं; तो हम 'पानी' या उसके और किसी समानार्थ-वाची शब्द का प्रयोग करेंगे। फिर यदि हम पानी के संबंध में कुछ कहना चाहें तो हमें 'गिरा' या कोई दूसरा शब्द कहना पड़ेगा। 'पानी' और 'गिरा' दो अलग अलग प्रकार के शब्द हैं, क्योंकि उनका प्रयोग अलग अलग है। 'पानी' शब्द एक पदार्थ का नाम सूचित करता है और 'गिरा' शब्द से हम उस पदार्थ के विषय में कुछ कहते हैं ( विधान करते हैं)। व्याकरण में पदार्थ का नाम सूचित करनेवाले शब्द को संज्ञा कहते हैं और उस पदार्थ के विषय में विधान करनेवाले शब्द को क्रिया कहते हैं। 'पानी' शब्द संज्ञा और 'गिरा' शब्द क्रिया है। _ 'पानी' शब्द के साथ हम दूसरे शब्द लगाकर एक दूसरा ही विचार प्रकट कर सकते हैं; जैसे, 'मैला पानी बहा'। इस वाक्य में 'बहा' शब्द तो पानी के विषय में विधान करता है; परंतु 'मैला' शब्द न तो किसी पदार्थ का नाम सूचित करता है और न किसी पदार्थ के विषय में विधान ही करता है। 'मैला' शब्द पानी की विशेषता बताता है,