( ५८ ) १४२-गणनावाचक विशेषणों के दो भेद हैं- (अ) पूर्णांक-बोधक; जैसे, एक, दो, चार, सौ, हज़ार । (आ) अपूर्णांक-बोधक; जैसे, पाव, आधा, पौन, सवा। (अ) पूर्णांकबोधक विशेषण १४३-पूर्णांक-बोधक विशेषण दो प्रकार से लिखे जाते हैं-(१) शब्दों में और (२) अंकों में। बड़ी बड़ी संख्याएँ अंकों में लिखी जाती हैं; परंतु छोटी छोटी संख्याएँ और अनिश्चितं बड़ी संख्याएँ बहधा शब्दों में लिखी जाती हैं। तिथि और संवत् को अंकों ही में लिखते हैं। उदा.-"सन् १६०० तक तोले भर सोने की दस तोले चाँदी . मिलती थी। सन् १७०० में अर्थात् सौ बरस बाद तोले भर सोने की चौदह तोले मिलने लगी।" । १४४-दहाई की संख्याओं में एक से लेकर आठ तक अंकों का उच्चारण कुछ रूपांतर के साथ दहाइयों के पहले होता है; जैसे, "चौ-बीस", "पै-तीस", "सै-तालीस ।" १४५-बीस से लेकर अस्सी तक प्रत्येक दहाई के पहले. की संख्या सूचित करने के लिए उस दहाई के नाम के पहले . "उन्" शब्द का उपयोग होता है; जैसे, "उन्तीस," "उन्- सठ।" "नवासी" और "निन्नानवे" में क्रमश: "नव" और "निन्ना" जोड़े जाते हैं।
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