(आ) एक के अनिश्चय के लिए उसके साथ श्राद या आध लगाते हैं; जैसे, एक-आद टोपी, एक-आध कवित्त । एक और आद ( आध ) में बहुधा संधि भी हो जाती है; जैसे, एकाद, एकाध । (इ) अनिश्चय के लिए कोई भी दो पूर्णांक-बोधक विशेषण साथ साथ आते हैं; जैसे, "दो-चार दिन में”, "दस-बीस रुपये”, सौ-दो सौ आदमी।" डेढ़-दो”, "अढ़ाई-तीन" भी बोलते हैं। (ई) "बीस”, “पचास", "सैकड़ा", "हजार", __“लाख" और "करोड़” में ओं जोड़ने से अनिश्चय का बोध होता है; जैसे, "बोसों आदमी”, “पचासों घर,” 1 "सैकड़ों रुपये", "हजारों बरस", "करोड़ों पंडित"। १५०-ऋसवाचक विशेषण से किसी वस्तु की क्रमा- नुसार गणना का बोध होता है; जैसे, पहला, दूसरा, पाँचवाँ, बीसवाँ। (अ) क्रम-वाचक विशेषण पूर्णांक-बोधक विशेषणों से __ बनते हैं। पहले चार क्रम-वाचक विशेषण नियम-रहित हैं; जैसे-. एक % पहला तीन = तीसरा दो= दूसरा चार = चौथा । (आ) पाँच से लेकर आगे शब्दों में "वाँ" जोड़ने से . ___ क्रमवाचक विशेषण बनते हैं; जैसे-
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