लगा था, इसलिए दोनों जन अपनी अपनी ठौरों से उठे।" इस उदाहरण में “दोनों जन अपनी अपनी ठौरों से उठे" यह वाक्य परिणाम सूचित करता है; और "अब भोर होने लगा" यह कारण बतलाता है; इस कारण "इसलिए" परिणामदर्शक समुच्चय-बोधक है। यह शब्द मूल समुच्चय-बोधक नहीं है। किंतु "इस” और “लिए" के मेल से बना है। ___ "इसलिए" के बदले कभी कभी "इससे", "इस वास्ते" वा "इस कारण" भी आता है। . अतएव, अतः- संस्कृत शब्द "इसलिए" के पर्यायवाचक हैं और इनका प्रयोग उच्च हिंदी में होता है। ___सो-यह निश्चयवाचक सर्वनाम "इसलिए' के अर्थ में आता है; परंतु कभी कभी इसका अर्थ "तब" वा "परंतु" भी होता है। जैसे, "मैं घर से बहुत दूर निकल गया था; से। मैं बड़े खेद से नीचे उतरा।" "कंस ने अवश्य यशोदा की कन्या के प्राण लिये थे, सो वह असुर था।" - २०६-जिन अव्ययों के योग से एक मुख्य वाक्य में एक ___ वा अधिक आश्रित वाक्य जोड़े जाते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चय-बोधक कहते हैं। इनके चार उपभेद हैं- (अ) कारणवाचक-क्योंकि, जो कि, इसलिए कि । इन अव्ययों से प्रारम्भ होनेवाले वाक्य पूर्व वाक्य का सम- र्थन करते हैं अर्थात् पूर्व वाक्य के अर्थ का कारण उत्तर वाक्य के अर्थ से सूचित होता है; जैसे, "इस नाटिका का अनुवाद करना मेरा काम नहीं था, क्योंकि मैं संस्कृत अच्छी नहीं
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