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तीसरा अध्याय
देश-भ्रमण
मुसलमान यात्रियों में [१]*इब्नबतूता सब से श्रेष्ट समझा जाता है। सादी के विषय में विद्वानों ने स्थिर किया है कि उसकी यात्रायें 'बतूता' से कुछही कम थीं। उस समय के सभ्य संसार में ऐसा कोई स्थान न था जहाँ सादी ने पदार्पण न किया हो। वह सदैव पैदल सफ़र किया करते थे। इससे विदित हो सक्ता है कि उनका स्वास्थ्य कैसा अच्छा रहा होगा। साथही वह कितने परिश्रमी थे। साधारण वस्त्रों के अतिरिक्त वह अपने साथ कोई सामान न रखते थे। हाँ, रक्षा के लिए एक कुल्हाड़ी लेलिया करते थे। आज कल के यात्रियों की भाँति पाकेट में नोट बुक दाबकर गाइड (पथदर्शक) के साथ प्रसिद्ध स्थानों का देखना और घर पहुंचकर अपनी यात्रा का वृत्तान्त छपवाकर अपनी विद्वत्ता दर्शाना सादी का उद्देश्य न था। वह जहाँ जाते थे महीनों रहते थे। जन-
- ↑ *इब्नबतूता प्रख्यात यात्री था। उसका ग्रंथ सफ़रनामा महत्वका है।