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पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/८३

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गोस्वामी तुलसीदास जी पर यह दोषारोपण किया जाता है कि उन्होंने कई भ्रमोत्पादक चौपाइयां लिख कर समाज को बड़ी हानि पहुंचाई है। कुछ लोग सादी पर भी यही दोष लगाते हैं, और यह वाक्य अपने पक्ष के पुष्टि में पेश करते हैं—

अगर शहरोज़ रा गोयद शबस्त ईं,
बबायद गुफ़्त ईनक माहो परवीं।

अगर बादशाह दिन को रात कहे तो कहना चाहिये कि हां, हुजूर, देखिए चांद निकला हुआ है।

इसपर यह आक्षेप किया जाता है कि सादी ने बादशाहों की झूठी ख़ुशामद करने का परामर्श दिया है। लेकिन जिस निर्भयता और स्वतन्त्रता से उन्होंने बादशाहों को ज्ञानोपदेश किया है उस पर विचार करते हुए सादी पर यह आक्षेप करना बिलकुल न्याय संगत नहीं मालूम होता। इस का अभिप्राय केवल यह है कि ख़ुशामदी लोग ऐसा करते हैं। इसी तरह लोग इस वाक्य पर भी एतराज़ करते हैं—

दरोग़े मसलहत आमेज़ बेह, अज़ रास्ती फ़ितना अंगेज़।

वह झूठ जिस से किसी की जान बचे उस सच से उत्तम है जिस से किसी की जान जाय। कहा जाता है कि सत्य सर्वथा अक्षम्य है और सादी का यह वाक्य झूठ के लिये रास्ता खोल देता है। लेकिन विवाद के लिए