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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१३०

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बहुत अच्छा लगे, आपको ज्यादा पूजे । मैं आपको सिक्ख नहीं बनाना चाहता, हालाँकि आप अत्तमसे अत्तम सिकावके मुकाबले के मालूम होते हैं।" I am not writing this to convert yog to Sikhism, though much I would like to do so. I see not much difference between a true saint like great guru Nanak Dev and your noble self. I am only suggesting that it will be in the fitness of things if the greatest living Indian and the greatest man of the present world keeps Keshas like all the great men of all times." " यह मैं आपको सिक्ख बनानेके लिभे नहीं लिख रहा हूँ। हाँ, आप सिक्ख बन जाय, तो मुझे जरूर बहुत अच्छा लगे । महान गुरु नानकदेव-जैसे सच्चे सन्तमें और आपमें मुझे कोभी बड़ा फर्क नहीं दीखता । आजके सबसे बड़े हिन्दुस्तानी और आजको दुनियाके सबसे महान पुरुष पहलेके सभी महापुरुषोंकी तरह केश रखें तो ठीक ही है ।" अिसे बापूने लिखा : "With reference to the growing of hair and beard I hold a totally different view from yours. Whatever value outward symbols had before, they do not and ought not to possess the superlative value that you seem to attach to the growing of hair and beard. For me I can see no reason whatever for departing from a long established practice which I have accepted for myself. I would far rather that people judged me by my deeds than by my outward appearance." "केश और दाढ़ी रखनेके मामलेमें मैं आपसे बिलकुल दूसरे ही विचार रखता हूँ। बाहरी निशानियोंका महत्व पहले जमानेमें चाहे कुछ भी माना गया हो, लेकिन आप केश और दाढ़ी रखनेको जो महत्व देते दिखाी देते हैं, वह स्थान और वह महत्व झुनका होना नहीं चाहिये । केशोंके मामलेमें मैं आज तक जो करता आया हूँ, उसमें कुछ भी फेरबदल करनेकी मुझे जरूरत नहीं जान पड़ती। मेरे बाहरी दिखावेके बजाय मेरे आचरणसे लोग मेरी कीमत लगायें, यही मुझे ज्यादा पसन्द है।" आज बापू तारीख भूल गये, मैं भी भूल गया, और मैंने कहा आज.२८ तारीख है।" वल्लभभाी बोले - " तुम्हारे २९-४-३२ ग्रह कलसे बदल गये, यह भी भूल जाते हो ? आज तो २९ वी हो गयी। " अिस पर बापूने कहा "हाँ, मैं कितना मूख हूँ ! और ग्रह बदलनेके प्रमाण स्वरूप ही मानो आज होरका पत्र आया है ।" . १२७