पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१३३

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6 66 मैंने कहा- 'सब नंगे हैं', यह वल्लभभाभीका फैसला है। वल्लभभाभी कहने लगे “धीरे धीरे मान लोगे । अस कलकत्तेवाले बेन्थोलको भी आप तो अच्छा ही मानते थे, फिर कैसा निकला!" बापू- "मुझे अपनी राय बदलनेकी जरूरत मालूम नहीं हुी है । बेन्थोलके बारेमें जो हकीकत मिली थी, वह गलत थी। होरके बारेमें मैंने जो राय दी थी, वह सच्ची ही निकलती जा रही है। सेकीके विषयमें सबके विरुद्ध होकर मैंने जो राय दी है, वह भी सच ही साबित हो रही है ।" मैंने कहा होरके बारेमें वल्लभभाभी भी मानते हैं कि यह आदमी जो विनय दिखा रहा है वह मैकडोनल्ड तो कभी नहीं दिखा सकता, और विलिंगडनने तो दिखाया ही नहीं।" बापू बोले. शायद अर्विन भी न दिखाये । अिस आदमीने कांग्रेसको नाजायज नहीं ठहराया, जिसमें भी मुझे तो लगता है कि अिसके जीमें यह है कि कांग्रेसके साथ किसी न किसी दिन तो सुलह किये बिना काम नहीं चलेगा । जिसने अछूतोंके बारेमें जो. जवाब दिया है, वह लगभग स्वीकृति जैसा कहा जा सकता है । दूसरे भागके बारे में तो वह किस तरह कुछ लिख सकता है ?" ." मगनलालभाओके गुजरने पर अविनने जैसा पत्र लिखा था, वह हरगिज नहीं भुलाया जा सकता । (बापू तो भूल गये थे)। वल्लभमाीको याद था। वे बोले -" महादेव, बापू लड़ाी छोड़ दें न, तो ये सब लोग अिसी तरहके खत लिखने लगे; और अगर केश रख लें, तो सिक्ख भी अिन्हें नानककी गद्दी पर बिठा दें, तो कोभी आश्चर्य नहीं !" पसी बार्टलेटका पत्र रवीन्द्रनाथ टागोरके पत्रके साथ आया। टागोरकी अपील व्यर्थका विस्तार मालूम हुी । अिसे लेकर वे वायसरायके पास गये । मगर असने पानी फेर दिया। बापूने कहा तुम क्या अर्थ करते हो?" ." मुझे लगता है कि टागोर दोनों पक्षोंसे अपील करते हैं, यानी कांग्रेससे भी और सरकारसे भी ।" बाप्पू कहने लगे --"नहीं, कभी नहीं । वे तो 'ive in India ' (हिन्दुस्तानके हम लोग) कहते हैं । जिसमें हमें भी गिन लेते हैं । अन्होंने असे मेरे पास यही सोच कर भेजा होगा कि मैं भी समझौतेके लिये तैयार हूँ। वे यह चाहते हों कि अिस अपीलमें शामिल होनेके लिझे मैं भी कुछ छोड़ दूं या कोभी कदम उठा), सो बात नहीं है । " मैंने कहा ." बार्टलेट तो जरूर यह सोचता होगा." बापू कहने लगे- मुझसे अपील करनी होती, तो अन्होंने कभीसे अपील अखबारों में दे दी होती । आज रामदास और अक महाराष्ट्री विद्यार्थी बापूसे मिल गये । बापू कहते थे कि रामदासने हमसे मिलनेके लिझे सुपरिटेण्डेण्टके साथ खूब झिक झिक की। मगर असने नहीं माना । 66 मैंने कहा अगर १२८