पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१६२

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- . दूसरा अक लम्बा पत्र'. . का या । बड़ा निवन्ध था । आप खुद तो जेलमें विशेष अधिकार भोग रहे हैं और दूसरोंको छोड़नेका अपदेश देते हैं, यह कैसे ? अिन्सान बीमार पड़ता है, तब असे मरते देख कर दुःख क्यों होता है। जी जाय तो क्यों भीश्वरको धन्यवाद देते हैं ? मणिलाल बच गये तब आपने क्यों धन्यवाद दिया था ? आयुष्यकी मर्यादा क्या है ? बहुतसे दुराचारी लोग क्यों लम्बे जीते हैं ? और सदाचारी जल्दी ही क्यों चल बसते हैं ?' अित्यादि । अिसे वापूने लम्बा खत लिखा है : जो दो विशेष सुविधायें भोग रही है, वे अस पर दबाव डाल कर नहीं छुड़वाी जा सकतीं । असे खुद ही अिस वारेमें दिली अत्साह न हो, तब तक ये चीजें नहीं छुड़वामी जा सकतीं। मेरा अदाहरण लेते हो वह ठीक भी है और ठीक नहीं भी है। ठीक अिसलिये कि जब तक मैं कार्यक्षेत्रमें मौजूद हूँ, तब तक मेरा अदाहरण दिया ही जायगा ! और बुद्धिभेद पैदा होगा ही। क्योंकि की कारणोंसे जो बरताव मैं औरोंसे चाहता हूँ, वह आजकल अपने जीवनमें नहीं बता सकता । मैं जानता हूँ कि मेरे नेतृत्वमें अितनी खामी है । मेरा अदाहरण देना अिसलि ठीक नहीं है कि मेरी स्थिति दूसरे साथियोंसे भिन्न हो गयी है । असका अक कारण मेरी शारीरिक कमजोरी, दूसरा कारण महात्माका पद और तीसरा कारण मेरी विशेष परिस्थिति है। मैं 'क' वर्गमें हो, तो भी मेरी खुराक दूसरी ही होगी। असका कारण मेरा शरीर और मेरा व्रत है । यह बात थोड़ी बहुत हर कैदी पर लागू होती है । यह अलग सवाल है कि जितनी जल्दी खुराककी सुविधायें मुझे मिल जाती हैं, अतनी दूसरोंको नहीं मिल सकतीं । मैं हर तीसरे महीनेके बजाय हर हफ्ते मुलाकातें करता हूँ, और पत्र लिखनेकी तो लगभग कोभी भी मर्यादा नहीं है । अिस बारेमें मैंने अपने मनको यों समझा लिया है कि मेरा कोभी निजी मित्र नहीं और सगे सम्बन्धियोंको सगे मान कर मिलता नहीं । मैं मिलता हूँ तो अससे नैतिक काम निकलता है । मैं लिखता हूँ तो असका भी अद्देश्य यही है । भीतर ही भीतर जिसमें कोभी भोग होगा तो वह मैं जानता नहीं। होनेकी संभावना कम ही है, क्योंकि पत्र लिखना या मिलना बन्द हो जाय तो मुझे आधात नहीं पहुँचेगा । सन् '३०में मेरी शर्त मंजूर नहीं हुआ, तो मैंने मिलना बन्द कर दिया था । सन् '२२में पत्र लिखना चन्द कर दिया था । अिसके सिवा मुझे जो अलग रखा जाता है वह भी अक कारण है । अिन कारणोंसे मेरे साथ तुलना करना अचित नहीं माना जा सकता । मगर जिसे यह बात स्वयंसिद्ध न लगती हो, असे दलील देकर समझाना में ठीक नहीं समझता । जिसे बाहरसे बन्दोबस्त होने के कारण ' वर्ग मिला हो और जिसे अ' १५९