पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२२६

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. had been of wonderful values to him in his subsequent manoeures," " अस समयके गांधीजीके बरताव परसे मैं अन्हें संतका पद देनेको तैयार या; मगर यह निर्णय करना आप पर छोड़ता हूँ कि अक समय जो संत रहा हो, वह हमेशा ही संत रहता है या नहीं। उनके सन्तपनकी प्रतिष्ठा अनके बादके दावपेचोंमें अजीब ढंगसे काम आयी है।" यह आदमी बोलनेमें जितना मीठा है, अतना ही बगलमें छुरी रखकर घूमनेवाला दीखता है। बापू कहने लगे--- " मुझे जेलमें बन्द करके मेरे बारे में बोलनेमें अिनको क्या मजा आता होगा ? ' मरे हुओंके बारेमें बादमें अच्छा ही कहना चाहिये' यह कहावत होने पर भी असा क्यों?" जिसके लिओ हॉटसनका भाषण अच्छा कहलायेगा । कांग्रेसके प्रभावकी असने सही कीमत लगायी है- यह ध्यान देने लायक है कि व्यापारियोंमें वैरभाव न होते हु भी धर्मादेमें रुपया देनेवाले लोग राजनीतिमें रुपया अँडेल रहे हैं । जो स्त्री बाहर नहीं निकलती थी, वह बड़ेसे बड़ा त्यार्ग करनेको निकल पड़ी है। यह बताता है कि कोओ न कोभी रास्ता निकालना चाहिये और झूठी रक्षाकी बात छोड़ कर व्यापारियोंको आर्थिक स्वतंत्रताका आश्वासन देना चाहिये। कितना जबरदस्त प्रचार हो रहा है यह देखना हो तो सत्यमूर्तिका जो पत्र अभी तक बापूको नहीं मिला असे देखिये। 'टाअिम्स में छप गया है। यह बतानेके लिझे कि कांग्रेसको प्रान्तीय स्वराजसे सन्तोष हो जायगा । बापूने नटराजनको जो पत्र लिखा था, असके जवाबमें नटराजन लिखते हैं : "I fully realize the force of your reasoning on the need for clear cut condemnation of what we feel to be grave evils, even though one's judgement may not be perfect or final. In fact, I had said as much in my letter. But I sometimes feel that I, the reformer, was hasty in the judgement of good men and had hurt their feelings, and my present temper is perhaps due to the desire to avoid that mistake." "हम जिसे गंभीर बुरामी मानें असकी साफ तौर पर निन्दा करनी चाहिये, आपकी अिस दलीलका जोर मैं पूरी तरह समझता हूँ । यह दूसरी बात है कि हमारा फैसला सम्पूर्ण या आखिरी न हो। जितना तो मैंने अपने पत्रमें कहा ही या । मगर अक सुधारकके नाते मैंने बहुतसे अच्छे मनुष्यों के बारेमें राय बनानेमें जल्दी की है और सुनका जी दुखाया है । अिसलिओ अब अिस भूलसे बचनेकी अिच्छासे मेरा आजका स्वभाव बन गया दीखता है।"