Christs that we know are but second rate heroes in com- parison with the greatest men of whom the world knows nothing. Silently they live and silently they pass away, and in time their thoughts find expression in Buddhas or Christs and it is these latter that become known to us. They leave their ideas to the world; they put forth no claim for them- selves and establish no schools or systems in their name. Their whole nature shrinks from such a thing. They are the pure 'sattwikas', who can never make any stir but only melt down in love. The highest men are calm, silent, unknown. They are the men who really know the power of thought; they are sure that even if they go into a cave and close the door and simply think five true thoughts, and then pass away, these five thoughts of theirs will live throughout eternity. "कार्यकर्ताओंका वर्गीकरण करने में विवेकानन्दने जैसे नामी आदमियोंको पहला दर्जा नहीं दिया, जो कीर्ति और पूजाकी तेजोराशिसे विभूषित हुआ है। भीसा और बुद्ध जैसोंको भी नहीं दिया । मगर जिनके नाम नहीं जाने गये असे मूक और अज्ञात सिपाहियोंको दिया है । जिसमें कोभी आश्चर्यकी बात नहीं है । अनकी रचनाका यह पन्ना चमत्कारी है और असे पढ़नेके बाद भूलना आसान नहीं है। वे कहते हैं: 1
" 'दुनियाके महान पुरुष तो अज्ञात ही रह गये हैं। जिनके बारेमें संसार कुछ नहीं जानता असे अिन सबसे अच्छे आदमियों के मुकाबिलेमें मीसा और बुद्ध तो दूसरे दर्जेके बड़े आदमी माने जाने चाहिये । वे लोग मूक रहते हैं और मूक ही चले जाते हैं । समय पाकर अनके विचार बुद्धों और जीसाओंके जरिये जाहिर होते हैं । ये पिछले लोग हमारी जानकारीमें आते हैं। वे लोग तो अपने विचार ही दुनियामें छोड़ जाते हैं । वे अपने लिओ कोी दावा नहीं करते और अपने नामसे कोसी सम्प्रदाय या दर्शन कायम नहीं करते । असी चीजोंसे वे स्वभावसे ही दूर भागते हैं । शुद्ध सात्विक वे ही हैं । वे कोजी भी आन्दोलन नहीं करते । सिर्फ प्रेममें ही मन रहते हैं। सबसे चूंचे मनुष्य शान्त, मूक और अज्ञात होते हैं । विचारोंकी शक्ति कितनी होती है, यह वे ही लोग सचमुच जानते हैं । अन्हें विश्वास होता है कि वे किसी गुफामें भी जा बैठेंगे और असका दरवाजा बन्द करके भी दो-चार अच्छे विचार करके चले जायेंगे, तो अनके ये दो-चार विचार अनन्त काल तक जीवित रहेंगे।" २३२