पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२८२

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99 3 निकाली थी और वापसे प्रार्थना की थी कि कुछ भी समझना, मगर यह न मानना कि हमारे दिलमें पाप है। असका अक सुन्दर पत्र आया। असने अपने अमरीकाके सफरका हाल लिखा था और कुटुम्बके सब समाचार दिये थे। बापूने असे लिखाः "You have beaten me. For the past four weeks or more I have been thinking of writing to you and I could not. And now your most welcome letter giving me a budget of family news has come. Thank you for it. What I wanted to say to you was that in everything I have done. I have asked myself how you would take it. Such was the hold your appealing cycs had on me when you spoke to me at that meeting under Prof. Thompson's roof. And then came those never to be forgotten talks under your own roof when you had received me as one of the family. Mahadev is with me. We often talk of all the friends we met in Oxford. Our love to all of you. "तुमने मुझे हरा दिया । पिछले चार हफ्तेसे मैं तुम्हें लिखनेका सोच रहा था, मगर लिख न सका । अन्तमें कुटुम्बके सारे समाचार लिये हु तुम्हारा अत्यन्त स्वागत योग्य पत्र आ पहुँचा । असके लिये धन्यवाद | मैं तुम्हें यह कहना चाहता हूँ कि मैं जो कुछ करता हूँ वह तुम्हें पसन्द आयेगा या नहीं, यह प्रश्न मैं अपने आपसे पूछता ही हूँ; जब तुम प्रो० थाम्पसनके यहाँ बोली थीं, तब तुम्हारी अमृत बरसानेवाली आँखोंने मुझ पर अितना ज्यादा असर डाला या । और फिर नब मैं तुम्हारे घर आया और तुमने घरके आदमीकी तरह ही मेरा सत्कार किया था, अस वक्तकी यातचीत तो भुलाभी ही नहीं जा सकती। महादेव यहाँ मेरे साथ है | आक्सफोर्डमें मिले मित्रों के बारेमें हम अक्सर बातें करते हैं । तुम सबको मेरा प्यार ।" आज यह पड़ा कि अलाहाबादकी हामीकोर्टमें अक रामचरण नामके ब्राह्मण जमींदारको अक धोवनको मार डालने पर पाँच सालकी सजा हुभी। धोबनने सामने जवाब दिया था कि मैं आज शामको कपड़े लेने आगी। अिसलिभे रामचरणने असे लात-मुक्के लगाये । दूसरी स्त्री मददको आयी तो असे तमाचे लगाये, और असका पति आया तो असके हायसे लाठी छीनकर असे मारा । और अन्तमें ५० वर्षकी अक और स्त्री आयी, तो असको लातें जमायी, असकी तिल्ली फट गयी और वह असी वक्त मर गयी । तब जनाव भागे । आजकल कैदियोंको छोड़ा जा रहा है और हमारे आदमियोंको अच्छी तरह सजा दी जाती है, असे ध्यानमें रखकर बापू कहने लगे-" असे पाँच तालकी सजा है, मगर वह पांच महीने भी नहीं रहेगा। कहेगा कि २५९