पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३६८

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। होनिमैन अब गप्पे हॉकने लगे हैं। बापू कहने लगे : “ यह हानिमैनका दूसरा पहलू है।" 'फ्री प्रेस' कहता है कि गांधी और वायसरायके बीच पत्र- व्यवहार हो रहा है । अिसे अ. पी. आी. झूठ बताता ८-८-३२ है। और 'क्रॉनिकल' असे बड़े अक्षरमें छापता है, मानो वह खुद अिस पापसे मुक्त हो! 'क्रॉनिकल में तीन कालम भरकर अक लेख लिखा है। असमें जबरदस्त भाषाडंबरके साथ खबर दी है कि हम जिसे विश्वासपात्र स्थान समझते हैं, वहाँसे पक्के समाचार मिले हैं कि महात्मा गांधीको छोड़ दिया जाय तो आश्चर्य न होगा ! फिर सेम्युअल होरके साथ पत्रव्यवहारके बारेमें अन्हें. पत्र मिले हैं झुनका जिक्र है --~-बल्कि सुन पत्रोंके अद्धारण भी -~~ और अन पर आलोचना है । गप्पीके घर गप्पी आये, आओ गप्पीजी; बारह हायकी ककड़ी और तेरह हायका बीज ! वाप्प मेरी फ्रेंचकी पढ़ाभीका अल्लेख करके लिखते हैं - " जिसके लोभका कोमी ठिकाना नहीं ।" मगर खुद अर्दू पढ़ रहे ९-८-३२ हैं, सिक्केका अध्ययन कर रहे हैं और खगोलके अध्ययनके लिमे पुस्तकालय अिकहा कर रहे हैं। आज अकबर हैदरीको पत्र लिखा कि असमानिया विश्वविद्यालयके चुने हुअ प्रकाशन मुझे भेजिये । बिड़लासे करंसी कमीशनकी की रिपोर्ट मंगवानी और अपनिषदोंमें ओशोपनिषद्का गहरा अध्ययन करने लगे हैं। यानी की आदमियोंका भाष्य पड़ना शुरू कर दिया है। मानसशास्त्र के गहरे अध्ययनके आधार पर स्थापित नीतिशास्त्र जैसा महाभारतमें मिलता है वैसा और कहीं नहीं मिलता। १०-८-३३२ सत्यकी अनेक व्याख्यायें हैं और वर्णन हैं; मगर अिस अक श्लोकमें सत्यकी व्याख्या और असत्यकी बुराी जैसी बतानी गयी है, वैसी शायद ही और कहीं बताी गयी होगी । और वह भी आदि- पर्वमें ही : योऽन्यथासन्तमात्मानमन्यथाप्रतिपद्यते । किं तेन न कृतं पापं चौरेणात्मापहारिणा ॥ असत्याचरणी, दंभी और मिथ्याचारी जैसा भयंकर चोर कोभी नहीं है, क्योंकि असके पापकी बराबरी करनेवाला अक भी पाप नहीं है । ३४९