® राजकीय परिस्थिति। ३०४ कहा है कि किलेमें पानीका सञ्चय होना बात सच है कि राजाके पास इतने अधि- चाहिए। राजाको किलेमें शस्त्र रखनेके कारी अवश्य रहें-मुख्य सचिव, सेना- कोठे, अनाज रखनेके कोठे और धन पति, पुरोहित, गुप्तदूत, दुर्गाध्यक्ष, रखनेके कोठे आवश्यक हुआ करते थे। ज्योतिषी और वैद्य। इनके सिवा और महाभारतमें कहा है कि किलेमें यन्त्र- भी अधिकारी बतलाये गये हैं। कचिद- सामग्री भी तैयार रखनी चाहिए । महा- ध्यायके एक श्लोकमें १- अधिकारी भारतमें युद्धके यन्त्रोका जो वर्णन है वह बतलाये गये हैं। टीकाकारने उनके ये प्रायः प्रीक लोगोंसे लिए हुए यन्त्रोंका नाम दिये हैं:-१ मन्त्री या मुख्य 'प्रधान', मालूम पड़ता है। कारण यह है कि बड़े २ पुरोहित, ३ युवराज, ४ सेनापति बड़े किलोको जीत लेनेके जो यन्त्र थे, वे या चमूपति, ५ द्वारपाल या प्रति- बड़े भारी चको पर ऊँचे किये हुए केटा- हारी, ६ अन्तरवेशक या अन्तःपुरका पल्ट अर्थात् पत्थर फेंकनेके यन्त्र थे, अधिकारी, ७ कारागृहका अधिकारी, जिन्हें ग्रीक लोग अपने साथ लाये थे' - कोषाध्यक्ष, हव्ययाधिकारी, १० प्रदेष्टा, और जिनकी सहायतासे सिकन्दरने कई ११ राजधानीका अधिकारी, १२ काम किले जीते थे। यदि इस समयके पहले नियत करनेवाला अधिकारी,१३ धर्माध्यक्ष भारती लोग इन यन्त्रोको जानते होते. १५ सभाध्यक्ष अथवा न्यायाधिकारी, तो वे ग्रीक लोगोंकी चढ़ाई में अधिक १५ दंडाध्यक्ष, १६ दुर्गाध्यक्ष, १७ सीमा- रुकावट डाल सकते । अतएव यह अनु- 'ध्यक्ष और १ अरगयाध्यक्ष । ये सब अधि. मान हो सकता है कि महाभारत-कालमें कारी तीर्थ कहलाते थे । मालूम नहीं, इन यन्त्रोकी जानकारी यूनानियोंसे । यह नाम क्यों दिया गया। ये लोग पूज्य ही हुई होगी। समझे जाते थे, इसीसे उन्हें तीर्थ कहा गया दो प्रधान साधनों-राजधानी और · होगा। किसी अन्य स्थानमें चौदह अधि- किले का वर्णन हो चुका। अब गजाके कारी बतलाये गये हैं जिनके नाम ये हैं:- लिये महत्त्वका तीसरा साधन मन्त्री देशाधिकारी, २ दुर्गाधिकारी, ३ रथा- अथवा 'प्रधान' है। जिनके साथ राज- धिपति, ४ गजाधिपाति, ५ अश्वाधिपाति, नीति-सम्बन्धी मन्त्र या सलाह की जाती : ६शरसैनिक ( पदाति मुख्य ),७ अंत:- है, उन्हें मन्त्री कहते हैं। "अष्टानां पुराधिपति, = अनाधिपति, शस्त्राधि- मन्त्रिणां मध्ये मन्त्रं राजोपधारयेत्” । . पति, १० सेनानायक, ११ श्रायव्ययाधि- (शान्ति० अ० -५) श्लोकसे मालूम होता पनि, १२ धनाधिपति, १३ गुप्त दूत, और है कि ये मन्त्री पाठ होंगे। (सम्भव है १४ मुख्य कार्यकर्ता । उक्त दोनों वर्णनों- कि ये न्याय-सभाके आठ मन्त्री हो) अत- सं पाठकोंको ज्ञात हो जायगा कि वर्तमान एष, अष्ट-मन्त्री या अष्ट-प्रधानकी संस्था । राज-व्यवस्था में जितने अधिकारी होते हैं, बहुत पुरानी जान पड़ती है । परन्तु प्रायः उनमें से सभी अधिकारी और उनके महाभारतमें यह कहीं नहीं बतलाया महकमे प्राचीन कालमें थे। गया कि यह आठ मन्त्री कौन हैं। शांतिपर्व और सभापर्वमें राजाके सभा पर्वके पाँचवें अध्यायमें सात प्रकृ- व्यवहारका बहुत अच्छा विवेचन किया नियाँ बताई गई हैं: परन्तु वहाँ भी इन गया है। "राजा लोग सुखका उपभोग सात प्रकृतियोंका वर्णन नहीं है। यह करें, परम्नु उनमें निमग्न न हो। धर्मके
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