पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३७९

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ॐ सेना और युद्ध । * - कर सकते कि रधियोंका युद्ध किस प्रकार जाते थे। प्रत्येक रथमें छः आदमी थे। होता था। कारण यह है कि वर्तमान उनमेंसे दो हाथमें ढाल लिये खड़े थे। समयके लोगोंकी बुद्धिमें तोपखानोंके युद्धों- : दो, दोनों तरफ, धनुष्य लिए खड़े थे और के वर्णन ही खूब भरे हैं। फिर भी, इसमें दो सारथी थे। ये सारथी लड़नेवाले भी सन्देह नहीं कि प्राचीन समयमें अस्त्रके। थे। जिस समय मुठभेड़की लड़ाई होने सिवा रथी बहुत महत्वपूर्ण योद्धा रहा : लगी, उस समय ये सारथी बागडोरको होगा । शांतिपर्वके १००वें अध्यायमें इस नीचे रख हाथोसे शत्रुओं पर भाले फेकते विषयमें नियम बतलाया गया है कि थे। परन्तु उस दिन ये रथ विशेष उप- रथीका युद्ध किस समय और किस ' योगी न हुए, कयोंकि पानी खूष जोरसे ज़मीन पर होना चाहिए। यह बतलाया बरसा था, जमीन बहुत चिकनी हो गई गया है कि जिस फौजमें पदाति हो वह थी और घोड़े दौड़ न सकते थे । इतना सबसे अधिक बलवान् है (वर्तमान कालका ही नहीं, वरन् वर्षाके कारण रथोंके भी अनुभव ऐसा ही है) और जिस स्थान पहिये कीचड़में फंसने लगे और उनके पर, गड्ढे वगैरह न हो उस स्थान पर, अधिक वजनके कारण रथ एक जगहसे जिस समय पानी न बरसता हो उम दूसरी जगह ले जाने लायक न रहे। समय, अश्वसेना और रथका बहुत इधर सिकन्दग्ने उन पर बहुन जोरसे उपयोग होता है । यह सूचना महाभारतके हमला किया, क्योंकि उसकी फौजके पास समयके प्रत्यक्ष ग्थयुद्धोंसे दी गई है। शस्त्रोंका बहुत योझ न था। पहले यदि यहाँ इस बातका वर्णन किया जाय सीथियन लोगोंने भारती लोगों पर हमला कि यूनानियोंकी चढ़ाईके समय ग्थोंकी किया। फिर गजाने अपने घुड़सवारों- लड़ाइयाँ प्रत्यक्ष किस प्रकार होती थी, को उनकी पूर्व दिशा पर हमला करनेको तो वह पाठकोंको मनोरञ्जक मालम | श्राज्ञा दी। इस प्रकार मुठभेड़ लड़ाईका होगा । पञ्जावकी वितस्ता (झेलम) नदीके प्रारम्भ हुश्रा । इतने में ही पथके सारथी किनारे सिकन्दग्के साथ जिस पोरस अपने ग्योंको पूरे वगर्म दौड़ाते हुए राजाका कुछ युद्ध हुआ उस पोरसकी लड़ाई के मध्य भागमें ले गये और सम- सेनामें रथ ही प्रधान अङ्ग था। इतिहास- झने लगे कि उन्होंने अपने मित्रोंकी बहुत कार कर्टियस रूफस्ने यह बात लिख सहायता की है । परन्तु इस बातका रखी है कि उनकी लड़ाई किस प्रकार निर्णय नहीं किया जा सकता कि इस हुई और उनका पगभव किस प्रकार कारण किस सेनाका अधिक नाश हुप्रा । "लड़ाई के प्रारम्भमें ही वर्षा हुश्रा। सिकन्दरके जो पैदल सिपाही होने लगी, अतएव कहीं कुछ देख न सामने थे और जिन्हें इस हमलेका प्रथम पड़ता था। परन्तु कुछ समयके बाद धक्का लगा वे जमीन पर गिर पड़े। कुछ आकाश निरभ्र हुअा। उस समय परस्पर रथोंके घोड़े बिगड़ गये। रथोंको गड्डों सेनाएँ दिखाई देने लगी। राजा पोरसने या नदीमें गिराकर वे छुट गये । जो थोड़े यूनानियोको रोक रखने के लिए एक सौ बाकी बचे, उन पर शत्रुके बाणोंकी वर्षा रथ और चार हजार घोड़े सामने भेजे । होने लगी, इसलिए वे पोरसकी सेनाकी इस छोटीसी सेनाकी प्रधान शक्ति रथों पर और वापस लौटे।" ही निर्भर थी। ये रथ चार घोडोसे खींचे उक्त वर्णनसे इस बारकी कल्पना ४५