ॐ भूगोलिक ज्ञान । ॐ शान्ति पर्वके ३६ अध्यायमें परशुराम- वर्षके बाद ब्राह्मणोंकी बस्ती वसईसे चिप- चरित्रके सम्बन्धसे पाया है। परशुरामने लुनकी ओर गई । परिससके ग्रन्थमें लिखा जब सारी पृथ्वी काश्यपको दान दे दी, है कि, सन् १५० ईसवीके लगभग थानेके तब कश्यपने उसको पृथ्वीके बाहर जानेके पासके प्रदेशको प्रार्य देश कहने लगे। लिए कहा। उस समय समुद्रने उनके विचित्रता यह है कि, इसके बाद मुस- लिए शूर्पारक देश उत्पन्न किया। ल्मानों और पोर्चगीज़ोंके कष्टके कारण, ततः शूर्पारकं देशम् सागरस्तस्य निर्ममे। इस देशमें ब्राह्मण बस्ती बिलकुल ही नहीं सहसा जामदग्नस्य सोपरान्तो महीतलम्॥ रही। आगे चलकर मराठोंके शासन- ___ इसमें यह स्पष्ट कहा है कि, शारक : कालमें वह फिर दक्षिण कोंकणसे उत्तर देश ही अपरान्त महीतल है। इससे जान कोंकणमें आई । इतिहासमें यह परिवर्तन पड़ता है कि अपरान्त देशकी ही शूर्पारक ध्यानमें रखने लायक है। अस्तु; दक्षिण राजधानी है। और, अपरान्त देश वर्त-: ओरके जो देश बतलाये गये हैं उनमें मान थाना जिलेका प्रदेश है, इस विषय- कोंकण और मालव देश हमारे परिचयके में बिलकुल शङ्का नहीं रहती। हैं। घाटमाथाके मावले लोग शायद . इस जगह एक महत्त्वकी बात यह • मालव होंगे। ये भी आजकलके आर्य हैं। बतलाने लायक है कि, परशुरामका क्षेत्र मालव शब्द घाटमाथाके प्रदेशके लिए और परशुरामके लिए समुद्रकी दी हुई ' उपयुक्त होता है । ऐसे तीन प्रदेश भारत- जगह अाजकल शारक नहीं मानी जाती, वर्षमें है । सह्याद्रिके घाटमाथे पर, तथा किन्तु दक्षिण ओर कोंकणमें चिपलुनमें बिन्ध्याद्रीके घाटमाथे पर और पाबके और चिपलूनके आसपास मानी जाती पास भावलपुर रियासतके पहाड़ोंके है; और परशुरामका क्षेत्र और मन्दिर भी घाटमाथे पर-इन तीनों जगह मालव इस समय चिपल नमें ही है। इस कारण लोगोंका नाम पाया जाता है। दक्षिणके दक्षिण कोंकण ही परशुरामका क्षेत्र माना मालव मावले लोग ही होंगे। उत्तर ओर. जाता है; परन्तु महाभारतमें शारक का और पञ्जाबका मालव क्षुद्रक नामसे भमिको परशराम-क्षेत्र माना है। इसके महाभारतमें अनक जगह पाया है और अतिरिक्त अपरान्त देशकी गणना भरत- इसीको ग्रीक इतिहासकार "मल्लय खण्डके देशांमें की गई है और कोकणका ऑक्सिडे" कहते हैं । नाम दक्षिणके देशोंकी सूची में दिया गया दक्षिणके ओर प्रसिद्ध लोग चोल, है। इससे यह अनुमान निकलता है कि, द्रविड़,पांड्य, केरल और माहिषक हैं। इनके महाभारत-कालमें आर्योंकी बस्ती कोकण- , नाम क्रमशः पूर्व पश्चिम किनारके अनुसार, में नहीं हुई थी। उत्तर ओरसे, जब शो- जैसा कि ऊपर कहा गया है, अब भी रक देशसे दक्षिणकी ओर कोंकणमें आर्यों प्रसिद्ध है। चोलसे मतलब मदराससे की बस्ती गई, तब आर्योने परशुरामका है। चोलमण्डल वर्तमान कारोमण्डल स्थान शारकसे हटाकर दक्षिण कोंकणमें है। उसके दक्षिण ओर तंजौर ही द्रविड़ किया । यही कारण है कि, अब शारकमें है। पाण्ड्य आजकलका तिनेवली है। परशुरामका क्षेत्र नहीं रहा । वर्तमान केरल त्रावनकोर है। माहिष मैसूर है। सोपारा एक क्षेत्र है। यह वसईके पास इतने नाम हम निश्चयपूर्वक ठहरा सकते है। अर्थात्, ईसवी सन्के पहले ३०० है। अमवासी नाम भी अबतक प्रसिद्ध
पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४२५
दिखावट