महाभारतमीमांसा * ३08 ... ... वायुपुराण ... २३५ राजाका व्यवहार ... वाहन राजाओकी पीढ़ियाँ ... वासनानिरोध भोर योगसाधन ४६ राजाको दिनचर्या ... वार्ताशास्त्र (खेती और व्यापार) ३६० राजनीति ... ...। वास्तुविद्या ... ... ... ३७५ राजनीति ( कुटिल ) ... ४० राशि, ग्रीकोंसे ली गई है ... ४६ विद्वानोका अध्ययन और मत ... राशियाँ हिन्दुस्तानमें ई० सन् विदुला संवाद. उद्धर्षण (राजकीय) ३४२ पूर्व २०० में आई ... ४ विमानोंसे अाक्रमण ... ... ३६२ राशियों के सम्बन्धमें दीक्षित- विवाहमर्यादा स्थापन ... .. २१- का मत भ्रमपूर्ण है ... ४६ विवाहकी स्त्रियोंके लिए आवश्य- राशियां गर्गके और बौद्ध कता ... ग्रन्थों में नहीं हैं । विवाहके आठ प्रकार ... २३१ राष्ट्रकी उच्च नीच गति ब्राह्म, क्षात्र, गान्धर्व ... ५८४ २३२ ४२६ श्रासुर ... " राक्षस १३३ रुद्रकी ब्रह्मके साथ एकता ... ५५३ ब्राह्ममें परिवर्तन ... २३४ रोमक शब्दमें रोमका उल्लेख विवाहसम्बन्धी कुछ निर्बन्ध . २३५ नहीं है शुद्रपत्नी ... ... ... ललित साहित्य ... ... .४ : विष्णुके नामकी उत्पत्ति ... ५४७ लिङ्गदेह ... ... ५०३ वृत्तगाम्भीर्य और भाषामाधुर्य ... ३६ लोक ( स्वर्गादि) ... ... ४६७ वृत्तरचना, महाभारतकी ... ७३ वराहमिहिरका मत कलियुगारम्भ वृत्त दीर्घ, ई. सन्के बाद नहीं के सम्बन्धमें शकपूर्व २५२६ ___ उत्पन्न हुए ... ... का भ्रमपूर्ण है .. १४ वेशलियाँ.... २७७-२७ वराहमिहिरने गर्गके वचनका वेदांतके आख्यान शांतिपर्वमें .. गलत अर्थ किया है . ६५ वेदकी शाखाएँ ... .... वेदांग ज्योतिषकाल, भारतीय वेदान्तसूत्रका समय ... ... ५४ युद्ध-कालका प्रमाण . ११५ वेदान्तका अर्थ ५३० वक्रानुवक मंगल . .. ४२६ वेबरका यह मत भ्रमपूर्ण है कि वक्तृत्व शास्त्र ... .. . ४५१ . पाण्डव हुए ही नहीं ... ३ वर्णकी व्याख्या . १६६ वैदिक धर्म .. ... ... वर्णव्यवस्था पुरानी है .. १७० वैदिक साहित्य में भारतीय युद्धके वर्णकी उत्पत्ति, श द्रोंके कारण १७४ प्रमाणु, देवापि, सोमक, ... वर्णसंकरका डर ... ... साहदेव्य.. ... ... वर्णके सम्बन्धमें युधिष्टिर वैदिकसाहित्यका पाश्चात्य विद्वानों- नहुष सम्बाद ... ... के द्वारा डरते हुए निश्चित वों में विवाहका निषेध ... किया हुआ काल ... ... १५५ वों में पेशेका निर्बन्ध . वैदिक साहित्यके साथ पूर्व- वल्कल सम्बन्ध और वैदिक साहित्य २
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