जर्मनी का व्यवसाय - एडीसन साहब का नाम मभ्य संमार में कौन नही नहीं जानता ? वे अपने ममय के अद्वितीय आविष्कारक समझे जाते हैं । मंयुक्त राज्य, अमेरिका, की स्वतन्त्र भूमि उनकी जन्म-दात्री है । वे अपना अधिकांश समय अपनी रामायनिक शाला मे व्यतीत करते हैं, और मदा कोई न कोई नई बात निकालकर अपनी मातृ-भूमि को ममार के अन्य देशो से विशेप गौरवान्वित करने की चेष्टा किया करते हैं। कुछ समय हुआ वे विदेश-यात्रा के लिए निकले थे। इस यात्रा मे उन्होंने योरप के मारे देशो को अच्छी तरह देखा। जब यात्रा करके आप अपने देश को लौटे तव आपके देशवामियों ने योग्प व्यवमाय के विषय में आपका मन जानना चाहा। इस पर उन्होंने जर्मनी के व्यवसाय और व्यवमायियो की बडी तारीफ़ की। उनके कथन का माराश नीचे दिया जाता है- व्यवसाय के विपय में जर्मनी योरप में अन्य सब देशो में विशेष उन्नतिशील है। उसके व्यवमाय की दिन पर दिन वृद्धि हो रही है । जर्मनी-निवामी बुद्धिमान और श्रमी है। व्यापार और उद्योग-धन्धे का काम वे मिल जुलकर करते है। व्यवसाय-विषय में वे आपस में कलह नहीं पमन्द करते। प्रत्येक जर्मनी-निवासी का यही उद्देश है कि मारे मंमार के वाणिज्य का अधिकाश उसी के देश वालो के हाथ मे आ जाय। उनका यह उद्देश कुछ न कुछ मिद्ध भी हो जाता है। मंमार मे मर्वत्र जर्मनी की बनी चीजे पहुंच गई है । जर्मनी की गवर्नमेंट अपने व्यवसायियों को इस काम मे यथाशक्ति महायता देने को मदा नयार रहती है। जर्मनी मे आविष्कार-कर्ताओ के लिए बहुत मुभीत है। कितने ही ऐसे बैक छले हुए है जो आविष्कारकों को थोड़े सूद पर झपया उधार देते है और उन्हें और भी अनेक प्रकार की महायता देते है । जब कोई आविष्कारक किमी नई वस्तु का आविष्कार करता है तब वह उसे किमी कारखाने वाले के पास ले जाता है। कारखाने वाला उस वस्तु को उसके गुण-दोष जाँचने के लिए कुछ ऐसे इजीनियरो के पाम भेज देता है जो बैको की और में इसी काम के लिए नियत रहते है। इंजीनियर लोग अपने बैंक को अपनी राय लिख भेजते हैं। यदि उनकी गय मे उक्त वस्तु लाभदायक स्थिर हुई तो बैक उम वस्तु को बनाने के लिए कारखाने को उमकी हैमियत देखकर रूपया उधार दे देता है। ममार में और कहीं भी ऐमी मुव्यवस्था नही है। अन्य देशो मे तो कारीगरो को अनेक कठिनताओ का मामना करना पड़ता है; क्योकि कोई भी कारखाना कोई आविष्कृत वस्तु बनाने का काम अपने हाथ में लेने का उम ममय तक माहम नही करता जब तक उसके पाम यथेष्ट धन नहीं होता और उसे इस बात का विश्वास नहीं हो जाता कि उस वस्तु के व्यापार से कुछ लाभ होने की सम्भावना है। जर्मनी के किसी भी बाजार में जाइए और किसी चीज़ के दाम पूछिए। जो
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