पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४४३

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कालेपानी के आदिम असभ्य /439 में प्रसिद्ध यात्री मार्को पोलो इन द्वीपों के पास से गुज़रा था। उसने लिखा है कि इन लोगों का सिर मस्तिफ़ कुत्ते के समान बड़ा और पैर बहुत लम्बे होते हैं। पर यह बात ग़लत है । शेक्सपियर के 'ओथेली' नामक नाटक में ओथेलो ने डेसडेमोना से इन लोगों का जो वर्णन किया है उसमें लिखा है कि ये लोग मनुष्याहारी हैं । परन्तु यह भी मिथ्या है । बात यह है कि अज्ञात या अल्पज्ञान जातियों के विषय में उस समय लोगों को बहुत कम ज्ञान था । वे उनके विषय में इसी तरह की विचित्र विचित्र बातों की कल्पना कर लिया करते थे। इनमें तथ्य का अंश शायद ही कुछ हो। लोगों ने तो यहाँ तक कल्पना कर ली थी कि अन्दमनी लोग मनुष्यों को मार ही नहीं डालते; उन्हें भून कर खा भी जाते है । एक बात अवश्य सच है । वह यह है कि ये लोग अपने कुटुम्बियों की खोपड़ियों तथा अन्य अंगों की हड्डियों को आभूषण के तौर पर पहनते है। यह प्रथा इनमें अब तक जारी है। अतएव, सम्भव है, इनकी ऐमी ही ऐसी प्रथायें देखकर प्राचीन काल के मभ्य मनुष्यो ने यह समझ लिया हो कि ये नर-मांमभोजी है। जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है, यह खर्वाकार कृष्ण-वर्ण की मनुष्य-जाति बहुत पुगती है। इसकी उत्पत्ति हुए हज़ारो, नही लाखो वर्ष हो चुके होंगे। इनकी भापा का ठौर ठिकाना नही। किमी भी लिपि से ये लोग परिचित नही। न ये खेती करना जानते है और न कपड़े बुनना या मीना ही जानते हैं। धातुओं का उपयोग भी इन्हें ज्ञात नहीं। ये लोग रगड़ कर या और किसी तरह आग पैदा करना भी नहो जानते । दुनिया की असभ्य से भी असभ्य अन्य जातियाँ आग उत्पन्न कर सकती हैं और अपने काम में लाती हैं। पर अन्दमनी लोग आग बनाने के साधनों से नितान्त ही अनभिज्ञ हैं । इसी से जब ये लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तब अधजली लकड़ी अपने साथ ले जाते है। उसी से वे वहाँ जाकर अग्नि जागृत रखते है । ये लोग मुशकिल से दो तक गिनना जानते है। इनमें से विरले ही ऐसे होंगे जो पाँच तक गिनना जानते होंगे। इनकी भाषा में पांच सबसे बड़ी संख्या समझी जाती है। अन्दमन द्वीप के मूल निवासी भी आख़िर को मनुष्य ही हैं। सभ्यों के बीच रहने से वे अनेक सभ्यतानुमोदित काम कर सकते हैं । चेष्टा करने से वे पढ़-लिख भी सकते हैं। पोर्ट ब्लेयर में जो गवर्नमेन्ट-हौस है उसमें एक अन्दमनी लैम्प (बत्ती) जलाने के काम पर नौकर है। ये लैम्प बिजली के है। वह आदमी इस काम को बहुत अच्छी तरह कर सकता है । यह बात कुछ समय पूर्व की है । मालूम नही, वह अब भी इस काम पर है या नही । और लोगो की तरह इस अन्दमनी को भी आराम से रहना बहुत पसन्द है । परन्तु सबसे अधिक सुख और आनन्द उसे तब मिलता है जब वह डोंगी पर सवार होकर समुद्र में मछली मारने जाता है अथवा जब वह अपने सजातियों के साथ जातीय नाच में शामिल होता है। अन्दमनी लोग सभ्य मनुष्यो की बस्ती से दूर भागते है। वे अपने मन से कभी नही जाते । बहुत फुसलाने से कभी कभी कोई वहाँ चला जाता है। उसे एक लंगोटी पहना कर वस्ती में लाना पड़ता । अपने जंगली निवास-स्थलों में ये लोग स्वछन्दतापूर्वक नंगे विचरा करते हैं । स्त्रियां अलबते पत्तों का आवरण धारण केरती हैं।