पृष्ठ:मानसरोवर भाग 6.djvu/२३

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मानसरोवर

पर बैठ गया। उसके ललाट पर पसीने की ठण्डी-ठण्डी बूँदें दिखायी दे रही थीं और साँस तेजी से चलने लगी थी, पर चेहरे पर प्रसन्नता और सन्तोष की झलक दिखायी देती थी।

जुझारसिह अपनी जगह से जरा भी न हिले। उनके चेहरे पर ईर्ष्या से भरी हुई मुस्कराहट छाई हुई थी, पर आँसू भर आये थे। उजेले और अँधेरे का मिलाप हो गया था ।