पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/२४

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मानसिक शक्ति।
 

ही इसके कभी कभी उसी के साथ निराशा भी होती है। कुछ समय हुआ, मैं एक आदमी से बातचीत कर रहा था। वह पुरुष बड़ा ही गम्भीर और शांत था। अपने जीवन के परिपूर्ण करने के लिए उसने किसी प्राप्ति की इच्छा की, परन्तु उसको विश्वास नहीं था कि ईश्वरीय नियम उसको कुछ प्राप्ति करा देंगे या नहीं। उसकी इच्छा के साथ ऐसी द्विविधा थी कि वह रोरोकर कहता था 'क्या रोने से चन्द्रमा हाथ में आ सकता है'। ऐसी इच्छा कभी पूर्ण नहीं हो सकती क्योंकि अविश्वास उसकी नास्तिक अवस्था कर देता है और मनुष्य इच्छित वस्तु को प्राप्ति की ओर नहीं जाएगा और न उसको पाने का हार्दिक यत्न करेगा। यहां अब मुझे यह बतलाने दो कि कहीं मनुष्य ऐसा न समझ बैठे कि मैं यह शिक्षा दे रहा हूँ "अपना मुंह खोलो, आँखे बंद करो और फिर देखो ईश्वर तुम्हें क्या भेजता है।" यह बात मेरी सम्मति से विपरीत है। किसी चीज़ की इच्छा करने से मेरा अभिप्राय यह है कि कोई बड़ी सफलता की अभिलाषा हो और किसी उत्तम और उत्कृष्ट जीवन के अवसर और ईश्वर की कृपापात्रता के योग्य हों। मेरा अभिप्राय यह है कि अपने हृदय से बाह्य किसी बड़े उत्तम पदार्थ की प्राप्ति का विचार हो कि हम तन मन से किसी लक्ष्यविन्द तक पहुंचने का यत्न करें। क्या यह सम्भव है कि इस प्रकार की उत्कट अभिलाषा रखते हुए तुम चुपचाप बैठे रहो और कुछ न करो। नहीं, नहीं तुम्हारा सारा जीवन काम करने में लगा ही रहेगा, लाचार तुमको आगे चलना ही पड़ेगा। इस कारण से अपने लक्ष्यबिन्दु तक पहुंचने के लिए हर प्रकार का यत्न करो। इस प्रकार तुम

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