पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/१६

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भवानंद पी महाराज इना अंगद मपितु मीमा हम कदीरदास *गदाल या ऋग्दास. भासदे अन्नाचर दयासागर सुरि विष्णुदास रामानंद दामों हरिदासुदेव धवदाज्ञी शहर । सरदासज्जी वा नामक तालुंदर रामचंद्रसूर अनंददारू बधार्य स्वामी मात्र इन शेरह २१६-२१३ २१६-२१६ २३१-२१६ २१६-२१६ २५६-३६६ २२०-२२० २२०-२-२२० २२०---२३३ ३२२-२२३ ••• २२२-२२६ | २२३-२३४ ३२४-२२४ - २३४-३२१ २२४-३२५ २२१-२२५ ..." ३२५-२२१ | २३६-२२६ ५. २३६-३२६ ३३६-३२७ ३२७-२३७ •.. २३६--२२८ २२८-३३८ ३२८-३२८ ••• २२८-३२६ .. २२९-२३१ |