पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२३५

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साथ खेलती थी। इसके पीछे पृव कुँवरे के बिंवाह में पृथ्वीर ने इसे मक्का समरसिंह को हुयज में दे दिया। इस विवाह का समय र में नहीं कैद्धा है, रंतु इसके कुछ ही साल झीछे विराज ने कम स्युड़ाया था, जिस छ ३२८ संवत् शो में दिया है। छ । इन अनुन्न । म देकर इंदु ॐ ऋथा ६५ था ६६