पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२३७

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रघुन्हाई कस्स हुई झडू यू भीख उद्धस्य जिम; झुन्नि कुटुइस कदै ईद ऋतु चंद घंई उछ तिमि । सृथ्वीर-कुल ओत अद्ध के बड़े अब्हल में ले ॐ नों और मैंन्स समय है। इन ऋयिन्त ऋय बल ही के समान एम मोयनथिई । इं; और सच्चाह में दक्रय से हु हा अलछिन् अपने साहु से ऊन वारज-त कहनाई किं ३ इन्सिार हाइवे हैं इस पर पृथ्वीराज ने इच्छू दिया कि इस अहाज हैं, क ॐ ॐने से निंशाह हू स्क्रते : हाँ यई छादशाह अइने मुख से आज्ञा दें, तो कोई इर्ज नहीं है। मंद भी इस समय पृथक्कराज के साच्च छ । इस पर बाद में कुछ संज्ञा है कि हाँ लिम्मा असा । उस समय शं. हे झा करके कहा कि इस समय अब चुकंदा ६ मल्लिए । अा–४xx झंगुल वाडि अमाङ } , र कुछ झुक्किो अध न झुक्क | पृथ्वीराज ॐ सूर्दछ । थार मरा, जिसे देरी कुछ राओं में कृस क्रि पर यह छंद दिया है .. .