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वर्तमान लेखक | … | … | … | १८—२० | |
ग्रंथ का आकार तथा लेखकों की अयोग्यता | … | २१—२२ | |||
श्रेणी-विभाग | … | … | … | २२—२३ | |
अपेक्षाकृत काव्योत्कर्ष | … | … | २४—२५ | ||
श्रेणी-विभाग के कारण | … | … | २८—३० | ||
काव्योत्कर्ष | … | … | … | ३०—३० | |
देव-कृत छंद | … | … | … | ३०—३५ | |
तुलसीदास-कृत छंद | … | … | … | ३५—३८ | |
बिहारी-कृत छंद | … | … | … | ३८—३९ | |
लेखराज-कृत छंद | … | … | … | ३९—४१ | |
सम्मिलित प्रभावादि | … | … | … | ४१—४७ | |
काव्य-रीति | … | … | … | ४८—४८ | |
पदार्थ-निर्णय | … | … | … | ४८—४९ | |
पिंगल | … | … | … | ४९—५० | |
सखागण | … | … | … | ५०—५० | |
गुण | … | … | … | ५०—५१ | |
दोष | … | … | … | ५१—५१ | |
भाव | … | … | … | ५१—५३ | |
रस | … | … | … | ५३—५५ | |
शृंगार | … | … | … | ५५—५५ | |
वृत्ति | … | … | … | ५६—५६ | |
पात्र | … | … | … | ५६—५६ | |
अलंकार | … | … | … | ५६—५७ | |
काव्यांग | … | … | … | ५७—५८ | |
वर्तमान शैली | … | … | … | ५८—५८ |