पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४८४

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रामकाल ] जग्तकृत प्रक्रर । विवर–सुधारणे थे । नाम-११ १ ० २) शिवप्रसाद कायस्थ, कालिंजर। जन्मका–६३० ।। कविताकाल--१८५५ । मृत्यु-१९१० | विचरा-चाबे नाथूराम जागीरदार मालदेव ढुंदेलखंड के यहाँ | कवि थे। नाम--(११०३) दशरथ । ऋन्ध–बृत्तविया । कार्वती काङ-१८५६ के पूर्छ । विवरण–सीन में गी । उन्तीसवाँ अध्याय ।। बेनी प्रवीन काल । ( फोल १८५६–५ )। (११० ४) बेनी नवीन वाजपेयी । ये मादाय लननिचासो कान्यकुवा भादाण उपमन्यु गा | ऊंच के पाजपेयी ६ । लखनऊ के मदिरा गाडी उद्दीन हैदर है ट्रगान बजा दयाकृष्। कायम्म्र के पुत्र नवलप्पी उपनाम ललनज़ी रित भयदाता थे । जगदिश महाराज बालकृष्ण इन्हीं रन जी के भाई धै। चेनोग्नीश जी ने बहन जी की शहाँ से