पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चेतीप्रवीण-कस] उत्तराखंय प्रारण् । ३६१ माय--१३ २०१७) भवानीशंकर। प्रन्थ-वैशालचीसीं । कविताकाल--१८७१।। विचरण-काश्मण पाठक के पुत्र । नाम (१३०८) श्रीसूर्य या सूर्य । ग्रन्थ-कर्मविपाक | वचिताकाल-१८७६ के पूर्व । नाम१२०६} फ़रालाल जी मैस्यानी (कृष्ण), दी। अन्ध–() कृष्णविनोद (१८६२), (३) रसभूपण (५८s४), (३) भक्तमाल की टीका । कपिचाफास-१८७२। विवरण साधारण शेती की कविता करते थे । अपि प्रसिद्ध स्वामी गदाधरळाछ के यश में थे। नाग-१२१७) भनिदास, चश्या ( इंदेलखए । अन्यरूपविलाप्त (पिंगहो । धन् –१८५५॥ चिंताकद-१८७१। विवरण–साधारण ॐ ।। नाम (१२११) अनमान। 'ग्रन्थ सगैइडोला। कविताकाल--१८७३ के छमभग ।