पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/९०

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मिभनि । नर्म–४ ०३) गेपाल प्राचीन ।' पिनाकाल--१७१५] विषय-केरी वयामत्रजीतसि६ जी के यह यह थे । नि भैया।। नाम-(४ ० ३) चन्द । अन्य-नागनार की हौंला (काली नपिना) । रचनाकी–१७१।। माम–(४०४) ज्ञवाडौ । भन्थ–रामद्देशदरसातवचनको । विनाका–१७१५! चियरम-गधकार | नाम१६६५) शीरभानु मायासी । रचनाकाल-१७६५। नाम (४०६) वनमालीदास स्वामी। जन्मसंयम्-६९०। । रचनाकाल १७१६।। वियर इनकी रचना वेदान्तसम्बन्धी है। निम्न में हैं। नाम-(४ ०१७) शंकरांमधे आम । प्र–लीलावती का हिंदी अनुवाद । रचनाकाल-१७१६ । विवरय-पिता का नाम रूप मिश्र था।