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मिश्रबंधु

सं. १९७४ उत्तर नूतन ४७३ या तूने रस में कुटिल विषमता घोली , जो मची विश्व में भीतर-बाहर होली ॥२॥ सुख-शांति स्नेह का तूने नाम मिटाया , नय, न्याय, नीति का तुझमें पता न पाया। था धुंआधार मच रहा विश्व झकझोली , जो मची विश्व में भीतर-बाहर होली ।।३।। नाम-(४२३६ ) दामोदर शुक्ल, दतिया । जन्म-काल-सं० १९४४ । ग्रंथ-(१) गुरु-अष्टपदी, (२) गुरु-अष्टक, (३) स्फुट छंद । विवरण-राधावल्लभी। नाम-(४२३७ ) बालकृष्ण शर्मा (नवीन), कानपुर- निवासी। जन्म-काल-लगभग सं० १९५४ । रचना-काल-सं १९७४ | विवरण--श्राप सुकवि तथा प्रताप-संपादक हैं । प्रभा का भी संपादन आपने किया था । नाम-( ४२३८) बेनीप्रसाद डॉक्टर ( वैश्यजैन ), प्रयाग। जन्म-काल-सं० १९५० रचना-काल--सं० १९७४ । ग्रंथ-(१) सूरदास, (२) जहाँगीरशाह (अँगरेज़ी में), (३) हिंदोस्तान की पुरानी सभ्यता । विवरण-~-प्रोफ़सर पॉलिटिक्स इलाहाबाद विश्वविद्यालय । आप उच्च श्रेणी के विद्वान् हैं, तथा बहुत छान-बीन के पीछे उत्कृष्ट श्रेणी के प्रशंसनीय थ लिखते हैं। स्वसाद के भी बढ़े ही सज्जन पुरुष हैं।