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पृष्ठ:मुण्डकोपनिषद्.djvu/६

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( २ ) विषय पृष्ठ द्वितीय मुण्डक प्रथम खण्ड ५५ ८० ६० ६४ २०. अमिसे स्फुलिङ्गोंके समान ब्रह्मसे जगत्की उत्पत्ति २१. ब्रह्मका पारमार्थिक स्वरूप २२. ब्रह्मका सर्वकारणत्व २३. सर्वभूतान्तरात्मा ब्रह्मका विश्वरूप २४. अक्षर पुरुषसे चराचरकी उत्पत्तिका क्रम २५. कर्म और उनके साधन भी पुरुषप्रसूत ही है २६. इन्द्रिय, विषय ओर इन्द्रियस्थानादि भी ब्रह्म जनित ही हैं २७. पर्वत, नदी और ओषधि आदिका ब्रह्मजन्यत्व २८. ब्रह्म और जगत्का अभेद तथा ब्रह्मज्ञानसे अविद्या-प्रन्थिका नाश द्वितीय खण्ड २९. ब्रह्मका स्वरूपनिर्देश तथा उसे जानने के लिये आदेश ३०. ब्रह्ममे मनोनिवेश करनेका विधान ३१. ब्रह्मवेधनकी विधि ३२. वेधनके लिये ग्रहण किये जानेवाले धनुषादिका स्पष्टीकरण ३३. आत्मसाक्षात्कारके लिये पुनः विधि ३४. ओङ्काररूपसे ब्रह्मचिन्तनकी विधि ३५. अपर ब्रह्मका वर्णन तथा उसके चिन्तनका प्रकार ३६. ब्रह्मसाक्षात्कारका फल ३७. ज्योतिर्मय ब्रह्म ३८. ब्रह्मका सर्वप्रकाशकत्व ३९. ब्रह्मका सर्वव्यापकत्व तृतीय मुण्डक प्रथम खण्ड ४०. प्रकारान्तरसे ब्रह्मनिरूपण ४१. समान वृक्षपर रहनेवाले दो पक्षी ... ६७ ७२ ७६ ७८ ८० ८२ ८३