पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/२०

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मेघदूत।


( अर्थात् मेरी पत्नी ) को अवश्य ही जीती पावेगा। वह पूरी पतिव्रता है। मेरे पाने के एक एक दिन गिनती हुई वह बेचारी किसी तरह अपने प्राणों की रक्षा करती होगी। स्त्रियों का स्नेह-शील हृदय फूल के सदृश कोमल होता है। ज़रा से आघात से ही वह चूर्ण हो सकता है। एक मात्र आशा ही उनके उस कुसुम कोमल हृदय को कुम्हलाने से बचाती है। अपने प्रेमी से फिर मिलने की यदि आशा न हो तो उनका जीना ही असम्भव हो जाय।

अकेले चलने से मार्ग जल्दी नहीं कटता; थकावट भी बहुत पाती है। परन्तु तू इस बात से न डर। तुझे अकेला न जाना पड़ेगा। तू यह अवश्य ही जानता होगा कि तेरी गरज सुनते ही पृथ्वी खिल उठती है। उसके भीतर से सफ़ेद सफ़ेद फूल निकल आते हैं, जो छाते के समान सुन्दर मालूम होते हैं। उन्हें देख कर ऐसा जान पड़ता है जैसे पृथ्वी ने अपने ऊपर छाता ही तान रक्खा हो। तेरी जिस गरज की बदौलत पृथ्वी से छत्र-तुल्य ये फूल निकलते हैं उसी की बदौलत राजहंसों को मानस-सरोवर में जाने की इच्छा भी होती है। तेरी गड़गड़ाहट सुनते ही वे जान जाते हैं कि वर्षा आ गई; अब जलाशयों का जल गँदला हो जायगा। अतएव, मार्ग में खाने के लिए कमलनाल के तन्तुओं का पार्थय लेकर वे तेरे साथ ही साथ कैलास पर्वत तक उड़ते चले जायेंगे। मानस-सरोवर जाने की राह उसी तरफ से है न? अवएव, तुझे अनायास ही बहुत से साथी मिल जायेंगे। यह भी तेरे लिए बहुत सुभोते की बात है।

अच्छा तो अब इस ऊँचे पर्व का आलिङ्गन करके इससे तू बिदा माँग और चल दे। यह पर्वत ऐसा वैसा नहीं। इसके ऊपर