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मेरी आत्मकहानी
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नहीं लगा। इस रिपोर्ट में बुदेलखंड का इतिहास संक्षेप मे दिया गया और इन कवियों पर विशेष नोट लिखे गए- स्कंदगिरि, बदन, वंशीधर, भोजराम, विहारीलाल, देवीदत्त, दुर्गाप्रसाद, इंद्रजीत, प्रयागीलाल, गुलालसिंह, खुमान, गुमान, फतहसिंह, हरप्रसाद, हरिसेवक, (केशवदास का प्रपौत्र) मेदिनीमल्ल, हठी, जीवन मस्तने, केशवराज, कुमार मणि, लक्ष्मीप्रसाद, पजनेस, मोहनदास मोहनलाल, पद्माकर, प्राणनाथ, प्रताप, प्रेमरतन, रूपसाहि, सुदर्शन और ठाकुर। यह रिपोर्ट सन् १९०८ में प्रकाशित हुई।

सन् १९०६-०८ की रिपोर्ट तीन वर्षों की हैं। अब तक रिपोर्ट प्रतिवर्ष तैयार की जाती थी, पर इसमें कई अड़चनें होती थीं। यदि कहीं पुस्तकों की जाँच होती रहती थी और वर्ष (३१ दिसंबर) समाप्त हो जाता था तो काम अधूरा रह जाता था। प्रतिवर्ष में नई खोज से पिछली रिपोर्टों में दी हुई बातों के संशोधन की आवश्यकता हो जाती थी। यह सोचा गया कि तीन तीन वर्षों की अवधि रख दी जाय तो यह काम सुगमता से हो सके। गवर्मेंट ने सभा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और सन् १९०६ से यह नियम बना कि तीन तीन वर्षों की रिपोर्ट लिखी जाया करे। इसका पालन अब तक हो रहा है। सन् १९०६-०८ में खोज का काम विशेष रूप से बुंदेलखंड में होता रहा। इन तीन वर्षों में १,०८३ पुस्तकों की जांच की गई। इनमें से ८७३ पुस्तकें ४४७ कवियो की हैं। इन ४४७ ग्रंथकारों में से १२० बुंदेलखंड के, और १३१ बाहर के हैं और शेष ऐसे हैं जिनके निवास-स्थान का पता न लग सका। २१०