पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/२८६

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२७६ रजवाड़ों की कहानियां खर्चा मिलाकर २२ हजार का विल था। राजा साहब ने उसपर एक सरसरी नज़र डालकर हुक्म दिया-विल' का डबल पेमेंट कर दिया जाए और कारीगर को दरवार के वाद सिरोपाव देकर विदा किया जाए। अन्तत: धूमधाम से दरवार हुआ। राजा साहब ने पतलून पहनी, उनकी श्रारजू पूरी हुई। उस दरवार में प्रत्येक के मुंह पर केवल पतलून थी। राजा साहव की मूछों का प्रत्येक बाल मुस्करा रहा था।