पोर नावालिग कौन सा काम इसी वक्त आपको एक ठमकदार दावत देना बहुत ही जरूरी है।' दोस्त लोग टोपियां उछाल-उछालकर हुरी-जुरी चिल्ला उकै । पोर नाबालिग जरा झंपकर मुस्कराने लगे। मैंने जेब से दस रुपए का नोट निकालकर मटरू के हवाले किया। थोड़ी ही देर में गर्मागर्म कचौरियों, रसगुल्लों और नलाई पर हाथ साफ होने लगे । बातचीत के दौरान में पोर नावालिग की बहादुरी की बहुत-बहुत तारीफ की गई। तबेले की लातों का बड़-बढ़कर जिक्र हुआ। पीर नाबालिग बहुत खुश हो गए । एकदम दोने में ले चार वीड़ा पान उठा- कर मुंह में ठूसते हुए बोले-इस दावत की खबर भी अखबार में छपनी चाहिए। जितनी बड़ी-बडी दावतें होती हैं, सबकी खबरें अन्नबार में छपती हैं। मैंने हंसकर कहा-जरूर, जरूर, मगर अखबार वालों को खबर देने कांद जाएगा? पीर नाबालिग एकदम खुश होकर बोने यह मटरुवा साला वहीं कवीर- चौरा ही पर तो रहता है, वहीं तो धड़ाधड़ अखबार छपता है, यही जाएगर । मैंने कहा-मटरू भाई, तुम्हें प्रक्षधार में इस दावत की खबर लेकर जाना होगा। 'जी माफ कीजिए, इतनी भारी दारत की खबर अकेला बन्दा नहीं हो सकता। हां, सब लोग चलें तो मुजायका नहीं।' सब लोग खिलखिलाकर हंस पड़े। पीर नाबालिग ने गम्भीरता से कहा- सभी लोग चलें फिर, क्या हर्ज है ! मैंने उठकर उस सरल-तरल युवक को छाती से लगाया । अाना समूचा सिगरेट का बक्स उसके हाथ में थमाकर कहा--- T-अभी सिगरेट पीनो दोल, सुवह इस मामले पर विचार करने को दोस्तों की एक चाय-पार्टी होगी, तब देखा जाएगा। पोर नाबालिग खिलखिलाकर हंस दिए। वे बहुत खुश थे, और जब बहुत रात बीत जाने पर आज की यह दिलचस्प गोष्ठी विखर रही थी, इसका प्रत्येक सदस्य बाग-बाग था।
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