पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१४०

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समितियों ने इसका अर्थ यह लगाया कि वकालत न छोड़ने वाले वकील पदोंपर नियुक्त नहीं किये जा सकते । कुछ प्रान्तोंने तो सत्य ही ऐसे नियम बना डाले कि जिसमें वे किसी पदपर नियुक्त न किये जा सके । वकालत स्थगित न करनेवाले स्वाभिमानी वकीलों के लिये, अपनी इच्छा के विरुद्ध भी, कांग्रेस के बाहर रहने का यह अकेला ही काफी प्रबल कारण है, किन्तु बाद में सामान्यतः जिस अक्षम्य अभद्रता का व्यवहार उनके साथ होने लगा उसके कारण वे सचमुच सार्वजनिक कार्यों से अलग रहने लगे । जब कि वकालत करनेवाले सम्मानित वकील, जो सार्वजनिक कार्यों में अपनी योग्यताके कारण प्रसिद्ध थे, बड़े परिश्रम के साथ और कभी कभी अप्रिय रीति से कांग्रेस के बाहर रखे जाते थे तो फिर देशावर से राशी राशी विदेशी कपड़ा मंगाने वालों के सभी कांग्रेस समितियों में निर्विघ्न प्रवेश पाने और उनके अन्तर्गत उत्तरदायी पदों पर नियुक्ततक होने का कोई कारण नहीं । यह सच है कि विदेशी कपड़ा मंगाने वाले कुछ व्यापारियों तथा मिलके मालिका ने तिलक-स्वराज्य कोष में बड़ी बड़ी रकमें दी थीं, किन्तु साधारणतया वकीलों को तो इतना मौका भी नहीं दिया गया कि वे सार्वजनिक कार्यों की सहायता में अपनी सुप्रसिद्ध मुक्त-हस्त उदारता पूर्णरूपसे प्रगट कर सकते ।

नयी रीति से पन्द्रह मास तक काम करने का परिणाम देश के सामने है । अदालतों, स्कूलों तथा व्यवस्थापक सभओं का वहिष्कार कार्यक्रम का मुख्य अंश है ।