पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१५५

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प्रयत्न शुरू किया। साम्राज्य की शक्तिका प्रदर्शन किया गया ओर चारों ओर सैनिक तथा सशत्र पुलिसके दर्शन होने लगे। बार बारकी जांचोंसे यह प्रगट हो गया है कि व्यवस्थापक सभाके सदस्योंका, जो प्रारम्भमे प्यारकी बातोंसे फुसलाये गये थे, जनतापर कुछ भो प्रभाव नहीं है, सुधारों के अनुसार जो पद उन्हें मिला है उससे हटाकर वे एक कोनेमें डाल दिये गये है और उनके साथ ऐसे अभद्र तरोकेसे वर्ताव किया जाता है कि वह घोर घृणासे शायद ही कम समझा जाय। दिखी सुधारके अनुसार भी अपने असन्दिग्ध अधिकारोको काममे लाने के कारण जब उन्हें कौंसिल भवनमें फटकार सुननी पड़ती हैं तब शासन विधिके प्रति उनकी भक्ति, जिसे वे बड़े प्यारकी दृष्टिसे देखते हैं, गवर्मेंट हाउसके भीतरी कमरेमें आगे- को फटकारोंके सामने विनीत भावसे सर झुकाना उन्हें सिख- ला देती है। यही उनकी स्वतन्त्रता-प्राप्तिके प्रयनका उचित प्रायश्चित है और इससे ने पुन: कौंसिलके प्रति आकृष्ट भी हो जाते हैं । सरकारका आधार शारीरिक शक्तिपर होने और संसार- में किसो अधिक बलवती शक्तिका अस्तित्व मानने में असमय होनेके कारण इसने यही समय लिया है कि असहयोग हमारे पैरों पड़ता है। मुंह लगे बच:-कौंसिलके सदस्यों को इसे चिढ़ानेकी आवश्यकता अब नहीं रहो, फलतः उन्हें साइन करनेकी भी इसे इच्छा नहीं रही। अब यह उन्हें यह धारणा बधाती है कि तुम्हारा भविष्य हमारी-दूसरे शब्दों में अंग्रेज