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है । तथा अछूत जातियोंका उद्धार इनसेभी आवश्यक है ।
इसके कारण जो ह्रास हो रहा है उसका अनुमान तक नहीं
किया जा सकता ।
असहयोग आन्दोलनका मुख्य अभिप्राय भारतीय समाजका शुद्ध बनाकर उसका संगठन करना है। इसकी शक्ति आत्मवल पर निर्भर है, पशुवलमें इसका ह्रास है । यही कारण है कि इस आन्दोलनने अथवा शब्दोंमें अपील की है। यदि भारत इस पराधीनता, और निरीह अवस्थासे विना शस्त्र प्रयोगके ऊपर उठ गया तो वह संसारके सामने एक अभूत पूर्व उदाहरण रखेगा और इस कोठीवाद तथा साम्राज्यवादके युगपर पानी फेर देगा। ईश्वर करें इसकी आशा फलवती हो ।
छबिनाथ पाण्डेय