पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२५५

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सत्याग्रह


है और इस हड़ताल और महती सभाका अभिप्राय हिंसा न होकर अहिंसा है । हमें पूर्ण आशा है कि अधिकारी वर्ग इस स्थितिको अनुचित प्रकारसे न देखेंगे । हमें पूर्ण आशा है कि वे इस समस्त कार्यवाहीका सच्चा अभिप्राय भलीभांति समझ जायेंगे और इस महत्वपूर्ण प्रस्तावके अभिप्रायको भी अच्छी तरह समझ लेगे । आजको सभामें जो प्रस्ताव किये गये हैं उसमे किसी तरहका विरोध भाव प्रगट करना किसी भी सच्चे देशभक्तके लिये असम्भव है। हम इस बातकी भी आशा है कि वे लोग इस आन्दोलनकी गतिको भी पूरी तौरसे ध्यान पूर्वक देखेंगे और इसका भाव समझेगे। हमें पूर्ण आशा है कि असाधारण धैर्य, आत्मसंयम, और पूर्ण शान्ति---जिसकी हम लोगोंमे शनैः शनै: उन्नति हो रही है---अपना पूण प्रभाव प्रगट करेगी और भारत तथा ब्रिांटश सरकारको बतला देगी कि यद्यपि देश एक ओर पूर्णरूपसे शान्त है तथापि दूसरी और उसके हृदय में दृढ़ प्रतिज्ञाके भाव मरे है जा अब 'नकारात्मक' उत्तरसे संतुष्ट होने- वाले नहीं है। हमे पूर्ण आशा है कि सरकार विगत साल की अप्रेलकी तरह फिर भूल नहीं करेगी और न अत्याचार द्वारा उस जागृतका दबानेकी भ्रमपूर्ण और निरर्थक चेष्टा करेगो क्योंकि जा जागृति इस समय प्रगट हो गई है उसके वशीभूत मनुष्य हीनता, दीनता, अपमान और पराजयके अति- रिक्त सब कुछ महनेको तैयार है ।

हमे यह जानकर बड़ा दुःख हुआ कि लिबरल लीगके समान