अन्तर्गत अनेक बातें आ गई हैं। इस लिये यदि किसीको अपना मत स्थिर करनेमें कम या अधिक कठिनाईका सामना करना पड़े तो कोई आश्चर्यकी बात नहीं। यह प्रश्न और भी जटिल इस लिये हो गया है कि वर्तमान अवस्थामें इसके लिये कोई साहसिक कार्रवाई आवश्यक हो गई। चाहे हमारी कठिनाई कितनी भी भीषण
क्यों न हो हमें पूरा विश्वास है और हमारा यह दृढ़ मत है कि
यदि हम भारतमें शान्ति और समताका साम्राज्य देखना चाहते
हैं तो इस प्रश्नपर विचार करना हमारे लिये सबसे अधिक
आवश्यक है ।
मेरे मित्रने लिया है :-'मैं आपसे इस विषयमे सहमत
नहीं हूं कि असहयोग करना सरकारका विघातक नहीं है।'
उनका कहना है कि सरकारी नौकरीसे इनकार करना तथा
मालगुजारी न देना व्यवहारमें सरकारका विघातक है। मुझे
खेदके साथ लिखना पड़ता है कि मेरा इमसे घोर मतभेद
है। यदि किसी प्रधान प्रश्नपर भाई भाईमे धार मतभेद हो
जाय और यदि एक भाई की आत्मा कहती है कि दूसरे भाईके
साथ रहना या उसके काममें योग देना अन्याय और पापा.
चार है तो मेरी समझमें वह भाई उसकी सहायता न करके
तथा उसके काममें योग न देकर भ्रातृधर्मका पूर्णरूपसे पालन
करता है। यह प्रायः प्रतिदिनकी जीवन घटनाओं में होता है।
शहादका पिता हिरण्यकश्यप अतिशय दुष्ट और क्रूर था। प्रह्लादने
उसके पापाचारमें योग देना उचित नहीं समझा । इसलिये उसने