पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/६

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प्रकाशकका निवेदन।

श्री बडा बजार कुमार समाको प्रकाशन क्षेत्रमें अवतीर्ण होने देखकर लोगोंके हृदयमें अनेक तरहके विचार उत्पन्न हो सकते है। इनमें सबसे मुख्य और प्रधान विचार यह हो सकता है कि बड़ा बाजार कुमार समा व्यावसायिक संस्था नहीं है, फिर इमने यह काम क्यों उठाया, क्योंकि वर्तमान समयमें प्रायः करके साहित्य-क्षेत्र भी व्यवसाय का क्रीडाखल हो रहा है। इसके अतिरिक्त दो चार संस्थायें साहित्यके प्रचारके उद्देश्यसे खोली गई हैं पर उनमें से दो एक तो रूपान्तरमे व्यवसायिक हो रही हैं और दो एकका प्रबन्ध ही ऐसा अव्यवस्थित प्रतीत होता है कि वे अपने उद्देश्यको सफल नहीं कर रही है। इसलिये यह आवश्यक हो गया है कि इस स्थलपर इस सम्बन्ध में कुछ लिखा जाय ताकि लोगोंका भ्रम दूर हो जाय।

बडा बजार कुमार सभाकी स्थापना जिस उद्देश्यसे हुई थी उसमे “ज्ञान वधक विभाग” का विशेष स्थान था। इस समाके जन्मकाल से ही "ज्ञान वर्धक" विभागपर ध्यान रखा गया पर उस समय प्रारम्भिक कठिनाइयोंके कारण सिवा एक छोटा मोटा पुस्तकालय खोल देनेके और कुछ न हो सका और यह काम भी पूर्णताके साथ नहीं निष्पन्न हो रहा था। १९२१ से