यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(७४)
[बारहवां
याक़ूतीतख़्ती
कारणों को सबसे प्रधान माना है, यथा-श्रवणजन्मा, स्वप्नजन्मा, चित्रजन्मा और साक्षातजन्मा। इनमें श्रवणजम्मा अनुराग दमयन्ती को हुआ था, स्वप्नजन्मा अनुराग उषा को हुआ था, चित्रजन्मा अनुराग प्रभावती को हुआ था और साक्षातजन्मा अनुराग तपती को हुआ था। सो इन चारों में से जहां अनुराग के उत्पन्न करने में एक कारण भी विशेष बलवान हुआ था, तो ऐसी अवस्था में मेरे चित्त में कुसीदा को लक्ष्य करके महा महा अनुराग क्यों न उत्पन्न होता, जब कि मैंने श्रवणद्वारा भी कुसीदा के वृत्तान्त को सुना और उसके रूप का चिन्तन करते करते स्वप्न में भी उसे देखा? इसलिये पाठकों को समझना चाहिए कि मैंने स्वप्न में कुसीदा को भली भांति देखा था।