पृष्ठ:योगिराज श्रीकृष्ण.djvu/४९

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48 / योगिराज श्रीकृष्ण


इस्लामाबाद या इस्लामपुर रखा गया । इस मन्दिर पर 33 लाख की लागत आई थी । इस मन्दिर की मूर्तियाँ नवाब कुटसिया बेगम की मस्जिद (जो आगरे में है) की सीढ़ियों में दबा दी गई ताकि वे प्रत्येक आने-जाने वाले के नीचे आवें और मन्दिर की जगह एक बड़ी भारी मस्जिद तैयार की गई जो अब तक बनी हुई है । इस मन्दिर का नीचे का चबूतरा 286 x 268 फुट था । अन्ततः मुसलमानी अत्याचार का समय बीता और औरंगजेब के मरते ही हिन्दुओं का भाग्य फिर जगा । मथुरा प्रांत पर जाटों ने अधिकार जमाया और वे अँगरेजी राज्य से लड़ते-भिड़ते इस प्रांत के कुछ-न-कुछ भाग को अपने अधीन बनाये रहे । मथुरा की वर्तमान इमारतें इसी समय की बनी हुई हैं । इन इमारतों की बनावट ऐसी उत्तम है कि ये भारतवर्ष की दर्शनीय इमारतो मे गिनी जाती हैं । हम अन्य इमारतों को छोड़कर केवल उन्हीं इमारतों का यहाँ उल्लेख करेगे जिनका कृष्ण की जीवनी से कुछ संबंध है !
(1) केशवदेव के नवीन मन्दिर के निकट एक जलाशय है जो पोतड़ा कुंड कहा जाता है जिसमें कृष्ण महाराज के पोतड़े थोए जाते थे ।
(2) इसी जलाशय के तट पर एक कोठरी है जो 'कारागृह' के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमे वसुदेव और देवकी बंदी बनाकर रखे गये थे । यही कोटरी है जहाँ पुराणों के अनुसार कृष्ण ने जन्म लिया ।
(3) यमुना के सब घाटों में विश्रामघाट प्रसिद्ध है । इसके विषय में किंवदंती है, कि कस का वध करके कृष्ण और बलराम ने यहाँ विश्राम किया था । इस घाट की इमारतें दर्शनीय है ।
(4) योग घाट उस स्थान का नाम है जहाँ कहते है कि कंस ने नंद और यशोदा की सद्योजात बालिका योगनिद्रा को (जो देवकी के साथ लेटी हुई थी) देवकी की संतान समझकर जमीन पर दे मारा और वहाँ से वह देवी का रूप धारण करके आकाश मार्ग में चली गई ।(br) (5) 'कुब्जा कुआ' नामक स्थान पर वृन्दावन से लौटते समय कृष्ण ने एक कुबड़ी की कमर सीधी कर दी थी । इसे एक चमत्कार माना जाता है ।
(6) इसी प्रकार रणभूमि वह स्थान है जहाँ कृष्ण व बलराम ने कंस के पहलवानों से युद्ध करके उन्हे पराजित किया था ।
(7) यमुना-तट पर दो छोटे ग्राम है जिनमें से एक का नाम अब तक गोकुल' और दूसरे का 'महावन' है । किंवदंती है कि कृष्ण महाराज को पालन-पोषण के लिए जिस नंद गोप के हवाले किया गया था वह यही का रहने वाला था । अब कृष्ण संबंधी जो मकान गोकुल मे दिखाये जाते हैं वे महावन में हैं जो वर्तमान गोकुल से कुछ दूरी पर बसा हुआ है । जिस घाट पर जन्म की रात्रि के समय कृष्णचन्द्र नंद के हवाले किये गये उसे 'उत्तर घाट' कहते है । इनके अतिरिक्त वे स्थान भी दिखाये जाते है जहाँ गोकुल में रहकर कृष्ण के जीवन-काल की दूसरी घटनाएँ हुई है । गोकुल और महावन दोनों स्थान पवित्र गिने जाते हैं, जिनमें से गोकुल नदी के तट पर है और उसमें बड़े-बड़े मन्दिर बने हुए है । महावन के निकट शाहजहाँ के समय रुक बहुत बड़ा वन था जहाँ शाहजहाँ प्राय: शिकार खेलने आया करता था ।
1 मस्वमी वालपाचार्य प्रवर्दत पुष्टि मार्ग