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रंगभूमि


को यह अवसर प्राप्त नहीं होता। वे आप अपने आचरण की सफाई नहीं पेश कर सकते। आपको खबर नहीं कि हुक्काम ने अपराधियों को खोज निकालने में कितनी दिक्कतें उठाई। प्रजा अपराधियों को छिपा लेती थी और राजनीति के किसी सिद्धांत का उस पर कोई असर न होता था अतएव अपराधियों के साथ निरपराधियों का फँस जाना संभव ही था। फिर आपको मालूम नहीं है कि इस विद्रोह ने रियासत को कितने महान् संकट में डाल दिया है। अँगरेजी सरकार को संदेह है कि दरबार ने ही यह सारा षड़यंत्र रचा था। अब दरबार का कर्तव्य है कि वह अपने को इस आक्षेप से मुक्त करे, और जब तक मिस सोफिया का सुराग नहीं मिल जाता, रियासत की स्थिति अत्यंत चिंतामय है। भारतीय होने के नाते मेरा धर्म है कि रियासत के मुख पर से इन कलिमा को मिटा दूँ; चाहे इसके लिए मुझे कितना ही अपमान, कितना ही लांछन, कितना ही कटु वचन क्यों न सहना पड़े, चाहे मेरे प्राण ही क्यों न चले जायँ। जाति-सेवक की अवस्था कोई स्थायी रूप नहीं रखती, परिस्थितियों के अनुसार उसमें परिवर्तन होता रहता है। कल मैं रियासत का जानी दुश्मन था, आज उसका अनन्य भक्त हूँ और इसके लिए मुझे लेश-मात्र भी लजा नहीं।"

इंद्रदत्त—"ईश्वर ने आपको तर्क-बुद्धि दी है और उससे आप दिन को रात सिद्ध कर सकते हैं; किंतु आपकी कोई उक्ति प्रजा के दिल से इस खपाल को नहीं दूर कर सकती कि आपने उसके साथ दगा की, ओर इस विश्वासघात की जो यंत्रणा आपको सोफिया के हाथों मिलेगी, उससे आपको आँखें खुल जायँगी।”

विनय ने इस भाँति लपककर इंद्रदत्त का हाथ पकड़ लिया, मानों वह भागा जा रहा हो और बोले—"तुम्हें सोफिया का पता मालूम है?"

इंद्रदत्त—"नहीं।

विनय—"झूठ बोलते हो।'

इंद्रदत्त—"हो सकता है।"

विनय—"तुम्हें बताना पड़ेगा।"

इंद्रदत्त—"आपको अब मुझसे यह पूछने का अधिकार नहीं रहा। आपका या दरबार का मतलब पूरा करने के लिए मैं दूसरों की जान संकट में नहीं डालना चाहता। आपने एक बार विश्वासघात किया है और फिर कर सकते हैं।"

नायकराम—"बता देंगे, आप क्यों इतना घबराये जाते हैं! इतना तो बता ही दो

भैया इंद्रदत्त, कि मेम साहब कुशल से हैं न?"

इंद्रदत्त—"हाँ, बहुत कुशल से हैं और प्रसन्न हैं। कम-से-कम विनयसिंह के लिए कभी विकल नहीं होतीं। सच पूछो, तो उन्हें अब इनके नाम से घृणा हो गई है।"

विनय—"इंद्रदत्त, हम और तुम बचपन के मित्र हैं। तुम्हें जरूरत पड़े, तो मैं अपने प्राण तक दे दूं; पर तुम इतनी ज़रा-सी बात बतलाने से इनकार कर रहे हो। यही दोस्ती है?