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पृष्ठ:रंगभूमि.djvu/३९५

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प्रभु सेवक ने घर आते ही मकान का जिक्र छेड़ दिया। जॉन सेवक यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए कि अब इसने कारखाने की ओर ध्यान देना शुरू किया। बोले—"हाँ, मकानों का बनना बहुत जरूरी है। इंजीनियर से कहो, एक नकशा बनायें। मैं प्रबंधकारिणी समिति के सामने इस प्रस्ताव को रखूँगा। कुलियों के लिए अलग-अलग मकान बनवाने की जरूरत नहीं। लंबे-लंबे बैरक बनवा दिये जायँ, ताकि एक-एक कमरे में १०-१२ मजदूर रह सकें।"

प्रभु सेवक—"लेकिन बहुत-से कुली ऐसे भी तो होंगे, जो बाल-बच्चों के साथ रहना चाहेंगे?"

मिसेज सेवक—"कुलियों के बाल-बच्चों को वहाँ जगह दी जायगी तो एक शहर आबाद हो जायगा। तुम्हें उनसे काम लेना है कि उन्हें बसाना है! जैसे फौज के सिपाही रहते हैं, उसी तरह कुली भी रहेंगे। हाँ, एक छोटा-सा चर्च जरूर होना चाहिए। पादरी के लिए एक मकान भी होना जरूरी है।"

ईश्वर सेवक—"खुदा तुझे सलामत रखे बेटी, तेरी यह राय मुझे बहुत पसंद आई। कुलियों के लिए धार्मिक भोजन शारीरिक भोजन से कम आवश्यक नहीं। प्रभु मसीह, मुझे अपने दामन में छिपा। कितना सुंदर प्रस्ताव है! चित्त प्रसन्न हो गया। वह दिन कब आवेगा, जब कुलियों के हृदय मसीह के उपदेशों से तप्त हो जायँगे।"

जॉन सेवक—"लेकिन यह तो विचार कीजिए कि मैं यह सांप्रदायिक प्रस्ताव समिति के सम्मुख कैसे रख सकूँगा। मैं अकेला तो सब कुछ हूँ नहीं। अन्य मेंबरों ने विरोध किया, तो उन्हें क्या जवाब दूंगा? मेरे सिवा समिति में और कोई क्रिश्चियन नहीं है। नहीं, मैं इस प्रस्ताव को कदापि समिति के सामने न रखूगा। आप स्वयं समझ सकते हैं कि इस प्रस्ताव में कितना धार्मिक पक्षपात भरा हुआ है!"

मिसेज सेवक—"जच कोई धार्मिक प्रश्न आता है, तो तुम उसमें ख्वाहमख्वाह मीन-मेख निकालने लगते हो! हिंदू-कुली तो तुरंत किसी वृक्ष के नीचे दो-चार ईट-पत्थर रखकर जल चढ़ाना शुरू कर देंगे, मुसलमान लोग भी खुले मैदान में नमाज पढ़ लेंगे, तो फिर चर्च से किसी को क्या आपत्ति हो सकती है!"

ईश्वर सेवक—"प्रभु मसीह, मुझ पर अपनी दया दृष्टि कर। बाइबिल के उपदेश प्राणिमात्र के लिए शांतिप्रद हैं। उनके प्रचार में किसी को कोई एतराज नहीं हो सकता और अगर एतराज हो भी, तो तुम इस दलील से उसे रद कर सकते हो कि राजा का धर्म भी राजा है। आखिर सरकार ने धर्म-प्रचार का विभाग खोला है, तो कौन एतराज करता है, और करे भी, तो कौन उसे सुनता है? मैं आज ही इस विषय को चर्च में पेश करूंगा और अधिकारियों को मजबूर करूँगा कि वे कंपनो पर अपना दबाव डालें।