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रंगभूमि


जगधर--"गंगा नहाने क्यों नहीं चलूँगा! सबके पहले चलूँगा! कंधा तो आदमी बैरी को भी दे देता है, सूरदास हमारे बैरी नहीं थे। जब उन्होंने मिठुआ को नहीं छोड़ा, जिसे बेटे की तरह पाला, तो दूसरों की बात ही क्या। मिठुआ क्या, वह अपने खास बेटे को न छोड़ते।"

नायकराम-"चलो, देख आयें।"

चारों आदमी सूरदास को देखने चले ।