रामचन्द्र के पास दौड़ गई। जिस समय वह गई सीताजी भी रामचन्द्र के पास मौजूद थीं। परन्तु शूर्पणखा ने उनके सामने ही रामचन्द्र से कहा कि कृपा करके आप मुझसे शादी कर लीजिए। बात यह है कि मानसिक उत्कण्ठा की मात्रा विशेष बढ़ जाने से स्त्रियों को समय असमय का ज्ञान नहीं रहता। उनकी विवेक-बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।
विवाह करके पति प्राप्त करने की इच्छा रखनेवाली उस निशाचरी से, बलीवर्द के समान मांसल कन्धोंवाले रामचन्द्र ने कहा:—"बाले! मेरा तो विवाह हो चुका है; मैं तो पहले ही से कलत्रवान् हूँ। अब मैं दूसरी स्त्री के साथ कैसे विवाह करूँ? तू मेरे छोटे भाई लक्ष्मण के पास जा और उन पर अपनी इच्छा प्रकट कर"। इस पर वह लक्ष्मण के पास गई, तो उन्होंने भी उसका मनोरथ सफल न किया। वे बोले:—"मैं छोटा हूँ, रामचन्द्रजी बड़े हैं। और, तू पहले मेरे बड़े भाई के पास गई। इस कारण अब तू मेरे काम की नहीं। मैं अब तुझे अपनी स्त्री नहीं बना सकता"। यह सुनने और लक्ष्मण के द्वारा तिरस्कृत होने पर वह फिर रामचन्द्र के पास आई। उस समय कभी राम और कभी लक्ष्मण के पास जानेवाली उस निशाचरी की दशा, दोनों तटों के आश्रय से बहनेवाली नदी के सदृश, हुई। स्वभाव से तो शूर्पणखा महा कुरूपा थी, पर रामचन्द्र को अपने ऊपर अनुरक्त करने के लिए, माया के प्रभाव से, वह सुन्दरी बनी थी। यह बात सीताजी को मालूम न थी। इस कारण, उसे कभी रामचन्द्र और कभी लक्ष्मण के पास जाते देख, उन्हें हँसी आ गई। उन्हें हँसते देख कर शूर्पणखा आपे से बाहर हो गई। वायु न चलने के कारण निश्चल हुई समुद्र-मर्य्यादा को चन्द्रोदय जैसे क्षुब्ध कर देता है वैसे ही सीताजी के हँसने ने शूर्पणाखा को शुब्ध कर दिया। वह क्रोध से जल उठी, उसका शान्तभाव जाता रहा। वह बोली:—"हाँ, तू मुझ पर हँसती है! इस हँसने का फल तुझे बहुत जल्द मिलेगा। बाघिन का तिरस्कार करनेवाली मृगी की जो दशा होती है वही दशा तेरी भी होगी। तेरा यह हँसना मृगी के द्वारा किये गये बाघिन के अपमान के सदृश है। अच्छा, ठहर"।
ऐसी धमकी सुन कर सीताजी डर गईं। उन्होंने अपना मुँह पति की गोद में छिपा लिया—भयभीत होकर वे रामचन्द्र की गोद में चली गईं। उधर शूर्पणखा ने अपना बनावटी रूप बदल कर, अपने नाम के अनुसार, अर्थात् सूप के समान नखोंवाला, अपना स्वाभाविक भयङ्कर रूप दिखाया। लक्ष्मणजी समझ गये कि यह मायाविनी है। उन्होंने सोचा कि पहले तो इसने कोकिला की तरह कर्ण-मधुर भाषण किया और अब यह शृगाली की तरह घोर नाद कर रही है। अतएव इसकी बोली ही इस बात का प्रमाण है